ए मदर्स वोईस इज स्पेशल फॉर हर बेबी .रिसर्चर्स हेव इन्दीकेतिद देट इट ए -क्टिवेट्स की रीजन्स इंदी ब्रेन ऑफ़ देयर बेबीज़ देट एड लेंग्वेज प्रो-सेस्सिंग एंड मोटर स्किल्स सर्किट डिवलपमेंट (साइंस -टेक्नोलोजी /मुंबई मिरर दिसंबर १७ ,२०१० ,पृष्ठ ३० )।
मोंत्रेअल विश्वविद्यालय एवं सैंटे -जुस्तिने यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर के रिसर्च -दानों ने पता लगाया है माँ की आवाज़ तरजीही तौर पर (औरों कीआवाज़ पर वरीयता देते हुए ,चुनिन्दा तरीके से ) शिशु के दिमाग के उन हिस्सों को सक्रीय करदेती है जिनका सम्बन्ध भाषा बोध ,लेंग्वेज लर्निंग से होता है ।
ये नतीजे शिशुओं के पैदा होने के पहले २४ घंटों में ही उनके दिमाग की रिकोर्डिंग करके निकाले गये हैं .ऐसा नहीं है ,शिशुओं के दिमाग माँ के अलावा और महिलाओं की आवाज़ के प्रति प्रतिक्रया नहीं करते लेकिन ये दिमाग के केवल उन हिस्सों को हरकत में लातें हैं एक -टीवेत करतें हैं जिनका सम्बन्ध आवाज़ की शिनाख्त (पहचान )से होता है,न की भाषा बोध से ।
प्रयोग के दौरान १६ शिशुओं के दिमाग में इलेक्ट्रोड्स लगाये गए ,तब जब वह निद्रा ग्रस्त थे .इनकी माताओं से शोर्ट वोवेल 'ए 'की ध्वनी पैदा करने के लिए कहा गया .यही क्रम उस फिमेल नर्स की आवाज़ के साथ दोहराया गया जो बच्चों को लेब तक लेकर आई थी ।
माँ के आवाज़ करने पर दिमाग के बाए हिस्से(लेफ्ट हेमिस्फीयर ) में प्रतिक्रया दर्ज़ हुई ,खासकर लेंग्वेज प्रो -सेसिंग तथा मोटर स्किल्स सर्किट्स रोशन हुए ,हरकत में आये .जबकि अजनबी नर्स की आवाज़ के साथ दाए अर्द्ध गोल के हिस्से ही सक्रीय हुए जिनका रिश्ता सिर्फ आवाज़ की पहचान से जोड़ा जाता है ।
बेशक भाषा बोध सम्बन्धी जन्मजात क्षमता शिशुओं में होती है लेकिन ये वास्तव में हैं क्या और कैसे क्रियात्मक होती हैं इसका खुलासा अब हो रहा है .ए की आवाज़(ध्वनी ) पहली मर्तबा सुनने पर भी शिशु माउथ शेप इसके उच्चारण के अनुरूप बनाता है .देयर इज न्यूरो -बायलोजिकल लिंक बिटवीन प्री -नेटल लेंग्वेज एक्वीजीशन एंड मोटर स्किल्स इन्वोल्व्द इन स्पीच .सेरिब्रल कोर्टेक्स पत्रिका में इस शोध के नतीजे प्रकाशित हुएँ हैं .आखिर माँ ही पहली शिक्षिका ,भाषा बोध की पाठ -शाला होती है शिशु की .
शनिवार, 18 दिसंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
बहुत अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
एक टिप्पणी भेजें