पहली किश्त :
तकरीबन ९५ फीसद महिलायें माहवारी सम्बन्धी समस्याओंसे जूझतीं हैं ।
(१)हेवी ब्लीडिंग (बेहद का रक्त स्राव ,सामान्य से ज्यादा .तीन से चार टेबिल स्पून तक प्रति माहवारी सामान्य ,पांच टेबिल स्पून से ज्यादा हेवी ब्लीडिंग के अंतर्गत आता है ।).
(२)एक दम से अशक्त करने वाली पीड़ा ,एब्डोमिनल क्रेम्प्स आदि यानी पेडू में असहनीय पीड़ा आदि ।
(३)कब्जी ,दस्त लगना यानी डायरिया आदि .बेकाबू पूर्व मासिक पीड़ा (प्री -मेंस -ट्र्युअल सिंड्रोम यानी पी एम् एस ).आम मुश्किलातें हैं जिनसे महिलायें हर माह जूझतीं हैं ।
बेशक "नोवास्युअर "मुकम्मिल समाधान है लेकिन यह उनके लिए जिन्होनें अपना परिवार मुकम्मिल कर लिया है .संतान की और चाह शेष नहीं रह गई है ।
नोवास्युअर :एक छोटी सी सर्जरी या शल्य कर्म है जिसके तहत 'गर्भाशय का अस्तर 'यूटेराइन लाइनिंग 'मुक्काम्मिल तौर पर हठा दी जाती है .इसकी विस्तार से चर्चा ,गुणदोष पर आगे मशविरा होगा .पहले मूलभूत मुश्किलातों को लेतें हैं ।
(१)किलर क्रेम्प्स :माहवारी के दरमियान ऐंठन (डिस्मेनोरिया ) गर्भाशय की असामान्य स्क्वीज़िंग /दबकर तंग होते चले जाना यहाँ तक ,कई मर्तबा गर्भाशय (यूट्रस )तक पहुँचने वाली धमनियां ही अवरुद्ध होने लगती हैं इस पीड़ा की वजह बनती है .यही है एब्डोमिनल क्रेम्प्स .(ज़ारी ....).
बुधवार, 29 दिसंबर 2010
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