सोमवार, 20 दिसंबर 2010

निजी सम्बन्धों की अति -निकटता से घबरातें हैं 'सेक्स एडिक्ट्स '.

फीयर फेक्टर :सेक्स एडिक्ट्स आफ -रेड ऑफ़ इंटी -मेसी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २० ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
आम नागरिकों की तुलना में 'सेक्स एडिक्ट 'बेहद घबरातें हैं निजी सम्बन्धों की अति निकटता से .छिटक -तें हैं रूमानी ,अति -भावुकता पूर्ण सम्बन्ध बनाने से .आत्मविश्वाश हीनता ,असुरक्षा की भावना इन्हें घेरे रहती है .यह निष्कर्ष न्यूज़ीलैंड के मस्से विश्वविद्यालय के साइकोलजी ओनर्स छात्र करें फैस्लांदर ने एक प्रेक्तिसिंग क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट के सुपर्विज़ंन मेंएक ऑनलाइन सर्वे से निकाले हैं .सर्वे में ६२१ लोगों से उनके यौन जीवन के बारे में पूछताछ की गई .इनमे से ४०७ ने अपनी शिनाख्त सेक्स एडिक्ट के रूप में की ।
कम्पल्सिव सेक्स्युअल बिहेवियर से ग्रस्त ये तमाम लोग बहुत ज्यादा रूमानियत से ,किसी के बहुत करीब जाने में अपने को आत्मविश्वाश से हीन पातें हैं .भावुकता पूर्ण प्रेम -उद्दीपक संबंधों से खौफ खातें हैं .बच के निकलतें हैं किसी के बहुत करीब जाने से .अति -रागात्मक होने को टाले रहतें हैं ।
इस सेक्स एडिक्शन रिसर्चर के मुताबिक़,यह एक कोम्प्लेक्स कंडीशन है इस पर डिप्रेशन की तरह काम करने की ज़रुरत है .ग्रे -एरिया है ये ।
१९८० इज़ के दशक में पहली मर्तबा इसविशिष्ट शब्द का स्तेमाल किया गया .बेशक इसकी व्याख्या के लिए विशेष शब्दावली और भी हैं .सेक्स्युअल कम्पल्सिविती ,'एक्सेसिव सेक्स्युअल डिजायर डिस -ऑर्डर',हाई -पर -सेक्स्युँलिती ,आउट ऑफ़ कंट्रोल सेक्स्युअल बिहेवियर (ओ ओ एस सी एच ) इसी क्रममें आएँगी ।
इसका कोई असरकारी इलाज़ भी नहीं है .इसे व्यापक तौर पर गलत समझा गया है .अभिशाप की तरह इसे मान लिया गया है .क्यों होती है ऐसी हालत इसका कोई अता पता फिलवक्त किसी को भी नहीं .अन्वेषणों की ज़रुरत है .

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