ट्राई -को -मोनियासिस ?
इट्स ए सेक्स्युँली ट्रांस्मितिद इन्फेक्शन ,स्पेशियली ऑफ़ दी वेजाइना ,मार्कड बाई पर -सिस -टेंट डिस -चार्ज एंड इंटेंस वेजिनल इचिंग .इट इज काज़्द बाई ए 'प्रोटो-ज़ोआं पैरा -साईट ट्राई -को -मोनस वेजिनेलिस '।
यौन संपर्कों से प्रसार पाने वाली एक आम बीमारी है 'ट्राई -को -मोनियासिस '.ज़ाहिर है सेक्स्युँली एक्टिव महिलायें ही इसकी चपेट में आतीं हैं ।
इसकी वजह बनता है एक प्रोटो -ज़ोआं ,ट्राई -को -मोनस वेजिनेलिस '.योनी के अलावा 'युरीथ्रा '(मूत्राशय से निकलने वाली मूत्र नाली ,दी ट्यूब देत कन -दक्ट्स यूरिन फ्रॉम दी ब्लेडर टूदी एक्स -टीरियर .दी फिमेल युरिथ्रा इज क्वाईट शोर्ट ,३.५ सेंतिमीतर्स ,एंड ओपन्स जस्ट विदीन दी वलवा बिटवीन दी क्लैटोरिस एंड वेजाइना )। को भी रोग संक्रमित करता है यह परजीवी .असुरक्षित यौन संपर्क इसकी वजह बनता है ।
टोइलत सीट्स से नहीं फैलता है यह रोग संक्रमण क्योंकि यह परजीवी (ओर्गेनिज्म )टॉयलेट सीट पर जीवन निर्वाह करही नहीं सकता ।
ज्यादातर लोग इससे अनजान ,बे -खबर बने रहतें हैं .ट्राई -को -मोनियासिस के लक्ष्ण भी इनमे प्रसुप्त बने रहतें हैं ।
लक्ष्ण इसके औरतों में वेजिनल इचिंग ,इर्रिटेशन (जलन ,दर्द ),बदबूदार हरा -पीला यौनिक स्राव (स्मएली ग्रीनिश -येलो वेजिनल डिस -चार्ज ) के रूप में सामने आतें हैं .यौन संपर्क (मैथुन ) और मूत्र -त्याग के वक्त पीड़ा ,खुजली के बतौर भी सामने आ सकतें हैं ।
इसे सर्विकल इन्फेक्शन ,अन्य वेजिनल इन्फेक्शन भी गलती से समझ लिया जाता है .मर्दों में अकसर इसके लक्षण अप्रकट बने रहतें हैं .अलबत्ता कुछेक को पेशाब करते वक्त जलन महसूस हो सकती है ।
इलाज़ न कराने पर ,रोग कीशिनाख्त न हो पाने पर गर्भावस्था के दौरान पेचीला -पन,रिद्युस्द फर्टिलिटी भी देखने को मिल सकती है .ट्राई -को -मोनियासिस होने पर एच आई वी -एड्स रोग संक्रमण के खतरे का वजन बढ़ जाता है ।
क्या किया जाए बचाव के लिए ?
वेजिनल डिस -चार्ज के लक्ष्ण प्रकट होते ही गाईने -कोलोजिस्त एंड ओब्स्तेत्रिशियंन (प्रसूति एवं स्त्री रोग कीमाहिर )के पास जांच के लिए पहुँचिये . यदि ईस्ट इन्फेक्शन का इलाज़ ले रहीं हैं और तीन दिनों के बाद भी कोई फायदा नजर नहीं आता है ,तो जांच कराइए माहिरा से .मेडिकल एडवाइज फ़ौरन लीजिये ।
एक सिंगिल डोज़ से 'ट्राई -को -मोनियासिस 'से छुटकारा मिल जाता है .जांच के लिए आगे तो आइये .अपने सेक्स्युअल पार्टनर का भी इलाज़ /जांच करवाइए ,दोबारा इन्फेक्शन न हो .
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