एन्स्थीज़िया इज क्लोज़र टू कोमा देन स्लीप (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर १७ ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
रिसर्चरों के मुताबिक़ एन्स्थीज़िया डीप स्लीप के उतना नज़दीक नहीं है जितना कोमा के है .यह एक प्रकार का दवा प्रेरित अस्थाई किस्म का कोमा ही है जिससे बेहोशी कीदवा(एनस्थेतिक) का असरख़त्म होने पर मरीज़ बाहर आजाता है . जनरल एन्स्थीज़िया को फार्मा -कोलोजिकल कोमा भी कहा जा सकता है ।
स्लीप ,कोमा और एन्स्थीज़िया की समानता ,असमानता काव्यापक और तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद रिसर्च्दानों ने यह नतीजे अपने तीन साला अध्ययन से निकालें हैं जो न्यू -इंग्लैण्ड जर्नल ऑफ़ मेडिसन में प्रकाशित हुआ है ।
बेशक गहन निद्रा की प्रावस्थाओं और लाइतेस्ट एन्स्थीज़िया की कुछ प्रावस्थाओं में थोड़ा बहुत साम्य है .लेकिन यह समानता उतनी भी नहीं है ।
नींद की अपनी प्रावस्थायेंहोतीं हैं स्तेज़िज़ हैं .लाईट स्लीप ,इंटर -मिदीयेट स्लीप ,डीप स्लीप का यह ९० मिनिट का चक्र कई मर्तबा रिपीट होता है ।
लेकिन एन्स्थीज़िया के असर से मरीज़ को एक ख़ास प्रावस्था तक लाया जाता है और यह अवस्था सर्जरी के आखिर तक बरकरार रहती है ।
कोमा के ज्यादा नज़दीक पडती है यह प्रावस्था ।
दिमाग एक दम से शांत तथा इस प्रावस्था में न्युरोंस की गति -विधि एक दम से घट जाती है ।
"दी ब्रेन इज बिकमिंग वैरी वैरी क्वाईट .दी एक्टिविटी ऑफ़ दी न्युरोंस इज बींग डेम्प -इंद ड्रा -मेटिकाली."सैड ए लीड रिसर्चर -'देट इज आल्सो ट्र्यु इन कोमा ।'
बेशक दो व्यक्तियों की दिमागी नुकसानी ,दिमागी चोट यकसां नहीं होतीं हैं लेकिन एन्स्थीज़िया के असर से बाहर आने के अंदाज़ का जायजा लेकर कोमा से बाहर आने की स्तेज़िज़ पर भी कुछ रौशनी ज़रूर पड़ सकती है ।
बेशक एन्स्थीज़िया से मरीज़ बेहद जल्दी लौटा लिया जाता है लेकिन कुछ सर्किट मिकेनिज्म एन्स्थीज़िया और कोमा की यकसां हो सकतीं हैं .इससे मोनिटरिंग टूल्स औरबेहतर रोग निदान के ज़रिये यह जानना थोड़ा सुगम हो सकता है मरीज़ कोमा से कितना बाहर आ रहा है ,आ भी रहा है या नहीं .इससे कोमा रिकवरी के माहिरों को बड़ी मदद मिल सकती है .नै रन -नीतियां बन सकतीं हैं .ब्रेन सर्किट्स को समझ के इनमे कुछ में तरमीम भी की जा सकती है .जनरल एन्स्थीज़िया पर भी इस अध्ययन से नै रौशनी पड़ सकती है .
शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010
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