वेब रेज ?
कई मर्तबा इंटरनेट यूज़र का गुस्सा बेजान कंप्यूटरपर ही निकल जाता है .वजह दिनानुदिन बढ़ते वेब पेज ,विज्ञापन ,अवांच्छित और सूचनाओं के चलते उसे कई बार अपने काम की चीज़ तक पहुँचते पहुँचते वक्त लग जाता है .कई बार डायल अप कनेक्शन ही स्लो होता है ,सर्वर व्यस्त होता है ,कई लिंक्स गायब मिलतें हैं .सन्दर्भ सामिग्री तलाशते वक्त बेहद के अनेकानेक परिणामों का मिलना इसकी वजह बनतें हैं ।
वेब डिजाइन कीबुनावट ही कई बार घटिया होती है ।
अब इसके लिए असल दोषी कौन है ?सर्च इंजिन डिजाइन -अर्स ?वेब सर्फर्स ?यूज़र का अधैर्य ?
अलबत्ता ब्रिटेन में एक वेब रेज का मामला भी दर्ज़ हो चुका है .मामला २००५ का .इसमें पौल गिब्बोंस तथा जॉन जोंस में पहले तो चैट रूम में बेहिसाब बहस हुई ,जो गाली गलौन्ज़ तक पहुंची .बाद इसके गिब्बों ७० मील दूर जॉन के घर आ धमका .उस पर हिंसक हमला बोल दिया ।
बेहतर है अपनी पहचान को सरे आम न किया जाए .
रविवार, 26 दिसंबर 2010
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