'७ मंथ्स -ओल्ड्स कैन अंडर -स्टेंड्स अदर्स व्यूज़ '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,दिसंबर २६ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
दूध पीते सात माह के शिशु भी किसी समस्या को दूसरे के नज़रिए से समझने देख लेने का माद्दा रखतें हैं ।
चीज़ों को एक अलग परिप्रेक्ष्य में भी बूझ लेते हैं ये नन्ने ।
यह मेंटल लीप जिसे 'थियेरी ऑफ़ माइंड 'भी कहा जाता है इसकी उम्र पहले चार साल के आसपास बतलाई गई थी .लेकिन एक अन्य अध्ययन से पता चला है १५ माह की आयु में ही शिशु दूसरे के नज़रिए से वाकिफ हो जातें हैं .दूसरे के परिवेश को उसी के परिप्रेक्ष्य से जान लेने की क्षमता रखतें हैं ।
दूसरे की मन की स्थिति को जान लेने का सोसल इंटरेक्शन में एक ख़ास अर्थ होता है ,महत्त्व भी .विकास की एक कड़ी भी है यह क्षमता .ऐसे मेंशिशुओं में विकास सम्बन्धी कमियों और विकारों को समय रहते जाना जा सकता है ।
हंगरी के 'एकादेमी ऑफ़ साइंसिज़ इंस्टिट्यूट फॉर साइकोलोजी 'के रिसर्चर्स इसी दिशा में काम कर रहें हैं .ऐसे 'टास्क 'विकसित किये जा रहें हैं जो ऑटिज्मजैसे कम्युनिकेशन सम्बन्धी विकारों की शिनाख्त और इलाज में अच्छीकारगर भूमिका निभा सकतें हैं .यह एक नया सन्दर्भ है जो अभी तक अछूता रहा आया है .
रविवार, 26 दिसंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें