शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

कांग्रेसी -कार्य शाला उर्फ़ राघो -गढ़ के राजा "दिग्गी " .

अर्जुन सिंह भले ही गुरु के रूप में खुद को अर्जुन मानतें हों लेकिन राजनीतिक दक्षता /कुटिलता में उनके शिष्य राघो -गढ़ के राजा दिग्गी (दिग्विजय सिंह )उन्हें मात दे चुकें हैं ।
कहतें हैं मंद बुद्धि राजकुमारों को कुशाग्र बनाने के लिए नीति -परक कथाओं के माध्यम से विष्णु शर्मा (चाणक्य )से 'पञ्च तंत्र 'की रचना करवाई गई थी .श्री -मति सोनिया गांधी यही काम दिग्विजय सिंह से करवा रहीं हैं .इनका स्तेमाल कांग्रेसी प्रयोग शाला के रूप में किया जा रहा है .दो टूक कहें तो गिनी -पिग की तरह ।
दिग्विजय सिंह न विष्णु शर्मा हैं न चाणक्य ।
अगर यह मंद बुद्धि कांग्रेसी राजकुमार को ज़रा भी सुधार सकें तो देश इनकी देश्द्रोहिता को भी झेल ले .लेकिन यह तो राजकुमार की जन्म प्रदत्त मंद्ध -बुद्धिता को और बढा रहें हैं .मीर -वाकी हो या जयचंद या राजा दिग्गी नाम बदला है ,काम नहीं .काश ये मंद मति को थोड़ा भी कुशाग्र बना पाते .खुदा खैर करे .

कोई टिप्पणी नहीं: