मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

व्हाट इज 'ओब्स्त्रक्तिद देफिकेशन सिंड्रोम'?

व्हाट इज ओब्स -त्रक्तिद डेफि -केशन सिंड्रोम ?
डोंट पोप दी पोटी पिल एनी लोंगर /डॉक्टर्स से देट पीपुल हेव बिकम मोर डिपेंडेंट ऑन लेग्ज़ेतिव्स ,लीडिंग टू एब्यूज
मुंबई मिरर दिसंबर ६ ,२०१० ,पृष्ठ ४ )।
लोग इन दिनों अकसर पुराने कब्ज़ की शिकायत लेकर चिकित्सकों के पास लगातार पहुँच रहें हैं .कहतें हैं डॉक्टर साहिब दुनिया भर का विरेचक (दस्तावर ,लेग्ज़ेतिव ) आजमा लिया ,कब्ज़ है की टूट के नहीं दे रही .पता नहीं राजपाल यादव एक विज्ञापन में चिल्ला -चिल्ला कर कैसे कह रहा है -'खुल गए ,खुल गए ,खुल गए ?तो ज़नाब सारा खेल विज्ञापनों का ही तो खेला जा रहा है .आयुर्बैद नुश्खों के नाम पर लोग कुछ भी लेतें रहतें है ,फिर भी कब्ज़ है की टूटती ही नहीं .यही तो है लेग्ज़ेतिव एब्यूज और उसके खामियाजे .रोग की जड़ नहीं शाखाओं का इलाज़ कर रहें लोग ।
आइये पहले देखें क्या है 'ओ डी एस '/ओब्स -ट्रक -टिव डेफि -केशन सिंड्रोम ?
ओ डी एस क्रोनिक कोंस्तिपेशन ही है जिसमे लोग देर तक बैठे जोर लगाते रहतें हैं ,न मल ठीक से विसर्जित होता है ,न रेक्टम पूरा खाली हो पाता है .लोग रेस्ट रूम में बैठे पूरा अखबार चाट जातें है ,कुछ लोग तो डिक्शनरी भी साथ ले जातें हैं .टोइलत में एक बार घुस जाएँ तो बाहर आने का नाम ही नहीं लेते ।
दी सिम्पटम्स ऑफ़ 'ओ डी एस 'इज प्रोलोंग्द स्त्रैनिंग ,इनकंप -लीट एलिमिनेशन (नोट पासिंग दी कंप -लीट स्टूल )एंड ए प्रोलोंग्द टाइम टू हेव ए बोवेल मूवमेंट .ओ डी एस इज ए फोम ऑफ़ क्रोनिक कोंस -टी -पेशन ।
आइये कुछ चौकाने वाले तथ्यों पर नजर डालतें है .'जोय अस्पताल ,चेम्बूर 'केडॉ रॉय कहतें हैं गत सप्ताह में ओ डी एस के तीन मामलों में सर्जरी कर चुका हूँ .इतने ही अभी प्रतीक्षा रत हैं .लेग्ज़ेतिव एब्यूज की शिकायत लेकर बेहिसाब मरीज़ आ रहा है ।
ऐसी औरतों की संख्या ज्यादा है जिन्होंने कम समय में ज्यादा बच्चे पैदा किये हैं नतीज़न पेशियों के कमज़ोर पड़ जाने से इन्हें मल त्याग नहीं हो पा रहा है .पेशाब का बंद लगना तो आपने अकसर सुनाहोगा लेकिन यह टट्टी का बंद है .डॉ पाटनकर कहतें हैं यही लोग लेग्ज़ेतिव की शरण में बे -हिसाब जा रहें हैं .इनके दीर्घावधि स्तेमाल (वास्तव में एब्यूज से ) एक तरफ कोलन इन्फेक्शन दूसरी तरफ लीवर डेमेज के खतरे का वजन लगातार बढ़ रहा है ।
एल एच हीरानंदानी अस्पताल के डॉ विरल पत्रवाला कहतें हैं लेग्ज़ेतिव एब्यूज लोगों की जीवन शैली में बदलाव ला रहा है अब अधिकाधिक लोग सामने आ रहें है बेशक समस्या पुरानी चली आ रही है .आप मशहूर उदर और आंत्र (उद्रान्त्र रोगों के माहिर हैं ,गैस्ट्रो -एन -टेरो -लोजिस्ट हैं .
सभी तबके के लोग ओ डी एस की शिकायत लेकर आ रहें हैं .अपर मिडिल क्लास के ज्यादा आ रहें हैं .दिक्कत एक और है ये लोग शावर जेट्स का स्तेमाल कर रहें हैं व्हिच इज मोर लाइक कन्दक्टिंग एन एनीमा .दिस कुड बी डेंजरस इफ नोट डन प्रोपरली .

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