गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

वृक्ष लेंगे स्ट्रीट लाइट्स का स्थान .....

ग्लोइंग बायो -लाईट एमिटिंग डायोड (एल ई डी ) ट्रीज़ कुड रिप्लेस स्ट्रीट लेम्प्स (मुंबई मिरर ,नवम्बर २७ ,२०१० ,पृष्ठ १८ )।
एक दिन ऐसे पेड़ उगाये जा सकेंगे जिन की
पत्तियाँ उजाला पैदा करेंगी . ये स्ट्रीट लाईट की जगह ले सकेंगे .दरअसल रिसर्चर्स सी अर्चिन की आकृति के नेनो -गोल्ड -पार्तिकिल्स वृक्षों की पत्तियों में प्रत्यारोपित (इम्प्लांट )करने में कामयाब रहें हैं .यही बायो -लाईट -एमिटिंग डायोड्स की तरह ग्लो करेंगे .कैसे ?
गोल्ड नेनो कणों की मौजूदगीमें वह पदार्थ जो आम तौर पर प्रकाश को ज़ज्ब कर लेता है (रोक लेता है कुछ वेव्लेंग्थ्स को ) प्रकाश को उत्सर्जित (एमिट )करने लगता है ,निकालने लगता है अपने अंदरसे ।
आप जानतें हैं पादप जगत की हरियाली का राज .पादपों की पत्तियों के हरे (ग्रीन )रंग की वजह एक प्रकाश संवेदी रंजक (पिगमेंट होता है लाईट सेंसिटिव )होता है जिसे क्लोरोप्लास्त कहा जाता है .यह क्लोरोप्लास्त सतरंगी स्वेत प्रकाश कीकुछ तरंगों को (कुछ चिनिन्दा रंगों को )ज़ज्ब कर लेता है .लेकिन जब इसे बैंजनी प्रकाशसे तकरीबन ४०० नेनो मीटर्स वेवलेंग्थ के प्रकाश से आलोकित किया जाता है ,इस पर वायलेट लाईट डाली जाती है तब यह इसे तो रोक लेता है लेकिन यह खुद लाल रंग का प्रकाश छोड़ने लगता है ।
गोल्ड नैन पार्तिकिल्स का किया धरा है यह सब जिन्हें पत्तियों में इम्प्लांट किया गया था .गोल्ड नेनो कण इसी वायलेट लाईट का एक कुदरती स्रोत हैं ।raat
raat ke andhere me अदृशय शोर्ट वेव लाईट ऐसे में जब गोल्ड नेनो कणों पर पडती है ,ये उतेजित होकर शीघ्र ही वायलेट लाईट छोड़ने लगतें हैं .यही वायलेट लाईट जब आसपास के क्लोरोफिल अणुओं पर पडती है तब वह इसे तो रोक लेतें हैं ,इसके बाद खुद लाल रंग छोड़ने लगतें हैं ।
इस फिनोमिना को बायो -ल्युमिनिसेंस कहा जाता है .बायो -लाईट एमिटिंग डायोड की मौजूदगी में वृक्ष रात को भी प्रकाश संस्लेषण की क्रिया करने लगेंगे ।
ऐसे में गोल्ड नेनो कणों से उपचारित वृक्ष रात में ग्लो कर सकेंगे .स्ट्रीट लाईट का काम लिया जा सकेगा इस ग्लो से .ये वृक्ष दिन और रात दोनों पहर वायुमंडल से कार्बन -डाय-ऑक्साइड को खींच कर अपने फेफड़ों में भर सकेंगे .पर्यावरण -मित्र होगा यह प्रकाश .

कोई टिप्पणी नहीं: