कुछ ख़ास नहीं ,बहुत आसान है :शान्ति -प्राणायाम .
सुबह सवेरे खाली पेट घर के किसी एकांत कौने में ज़मीन पर या फिर पैर में तकलीफ है तो कुर्सी पर शांत चित्त होकर बैठ जाइए .ऑंखें बंद रखें ,कमर सीधी.धीरे धीरेलेकिन गहरी सांस अन्दर खीचें और फिर आहिस्ताआहिस्ता छोड़ दें .
एक लयात्मकता एक रिदम बनाए रखिये सांस की आवाजाही में .शुरुआत पांच मिनिट से करें .लक्ष्य रखें २० मिनिट का .पांच से दस और दस से बीस मिनिट का लक्ष्य हासिल कीजिए ।
अवसाद को दूर भगाने याददाश्त को पुख्ता करने में सहायक हो सकता है शान्ति -प्राणायाम .ध्यान भी आपका धीरे धीरे टिकने लगेगा .ध्यान भंग होना ,ध्यान ना लग पाना इस दौर की एक बड़ी समस्या रहा आया है ।
शान्ति प्राणायाम आपके चित्त (माइंड)को स्वस्थ और युवा बनाए रखने में मददगार रहेगा .शरीर ,बुढ़ाता है चित्त अशरीरी है .चिर युवा है .आत्मा का स्वभाव है आनंद ,ज्ञान ,शान्ति .आत्मा बुढ़ाता नहीं हैं ।
अलबत्ता मृत्यु के समय आत्मा जिस अवस्था मेंरहती है वही अवस्था उसके साथ जाती है चित्त की ,बोध की .
सोल ,माइंड ,आत्मा ,मन अलग अलग नाम है एक ही अशरीरी तत्व के .
आत्मा सिर्फ काया बदल करता है.सोल इज कन्ज़र्व्द .
मंगलवार, 14 सितंबर 2010
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