सीवियर -ब्लीडिंग :लाखों -लाख औरतों को माहवारी के दरमियान सीवियर ब्लीडिंग होती है जिसे मेनोरेजिया कहा जाता है .आमतौर एक साइकिल (मासिक चक्र ) के दरमियान औसतन तीन से चार टेबिल स्पून रक्त बह जाता है .पांच से टेबिल स्पून से ज्यादा रक्त स्राव प्रति साइकिल हेवी ब्लीडिंग के तहत आता है ।
समाधान ?
(1) एक वांड जिसे 'नोवास्युर 'कहा जाता है गर्भाशय से गर्दन से बच्चेदानी (गर्भाशय ,यूट्रस )तक पहुंचाया जाता है .इससे लगातार एनर्जी (ऊर्जा का रिसाव )होता रहता है जो धीरे -धीरे गर्भाशय अस्तर (यूटेराइन लाइनिंग )का सफाया कर देता है .बस अतिरिक्त रक्त स्राव से सदैव के लिए मुक्ति मिल जाती है लेकिन यह माइनर शल्य चिकित्सा उनके लिए ही वांच्छित है जिन्हें अब और बच्चे नहीं चाहिए .इसके बाद गर्भ धारण करना खतरनाक सिद्ध हो सकता है .इसके बाद हर माह हलका रक्त स्राव ही योनी से होता है . ९५ फीसद मामलों में ७ साल के बाद माहवारी ही बंद हो जाती है ।
(२) दी ३६५ डे पिल :इन गोलियों को रोजाना पूरे साल लेना पड़ता है इनमे कोई प्लेसिबो (बिना औषधीय गुणों वाली ,कंटेनिंग नो फार्मासितिकल एजेंट )गोली नहीं होती है सभी एक्टिव पिल्स होतीं हैं जो माहवारी को निलंबित रखतीं हैं लेकिन यह उनके लिए नहीं है जिन्हेंब्ल्ड क्लोट्स का ख़तरा रहता है क्योंकि इनमे इस्ट्रोजन की लोडिंग रहती है .स्मोकर्स इसी वर्ग में आएँगी .जिनकी उम्र ३५ से ऊपर है तथा जिन्हें दिल की बीमारियों का ख़तरा है .जिन्हें मीग्रेंन आधे सिर के पूरे दर्द की शिकायत रहती है .आधा शीशी का दर्द रहता है ,उनके लिए भी नहीं हैं ये पिल्स .
हेवी फ्लो से बचाव के लिए परम्परागत पिल भी कामयाब रहती है लेकिन इसमें माहवारी ज़ारी रहती है .अलबत्ता इन पिल्स में प्रो -जेस्तीरोंन का नियत (एकसमान बना रहने वाला स्तर ) इंडो -मीत्रियम को थिनर लाइनिंग के लिए तैयार हर माह ,करता है .प्लेसिबो पिल्स के दौरान हलका रक्त स्राव होता है .यु शेड ए थिनर यूटेराइन लाइनिंग ओवर टाइम ।
कुछ ऐसी पिल्स भी हैं जिनके स्तेमाल से साल भर में चार पीरियड्स ही होतें हैं ।
(३)अंत :गर्भाश्यी युक्तियाँ (एन इंट्रा -यूटेराइन डिवाइस ):
इसमें गर्भाशय के अन्दर एक युक्ति फिट कर दी जाती है जिससे नियमित रोजाना प्रो -जेस्तींन स्राव होता है .यह यूटेराइन लाइनिंग को झीना करता चलता है .आखिर में खारिज करने ,शेड करने के लिए अस्तर बचता ही कहाँ है ?
एक तिहाई महिलाओं को इसे धारण करने के बाद पीरियड्स होते ही नहीं हैं ,एक तिहाई को एक दम से हलकी ब्लीडिंग होती है (लाइटर पीरियड्स होतें हैं ).जबकि शेष एक तिहाई को कभी कभार धब्बा सा आजाता है ।
अलबत्ता इसके पार्श्व प्रभावों के बतौर फिट करने के दौरान पीड़ा ,तीन सप्ताह तक एंठन और ब्लीडिंग भी हो सकती है .(ज़ारी ...)
गुरुवार, 30 दिसंबर 2010
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2 टिप्पणियां:
उपयोगी जानकारी, आभार।
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साइंस फिक्शन और परीकथा का समुच्चय।
क्या फलों में भी औषधीय गुण होता है?
shukriyaa !zaakirali rajneesh saahib .
veerubhai .
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