ह्यूमेन एमिट्स २ टी ऑफ़ कार्बन -डायोक्साइड ए ईयर ड्यूरिंग दाइजेसन(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर ५ ,२०१० )।
स्पेन की युनिवार्सिदाद दे अल्मीरिया के रिसर्चरों ने अपने एक अध्ययन में पता लगाया है ,एक व्यक्ति एक साल में २ टन कार्बन -दाइओक्साइद गैस उत्सर्जित करता है खाना खाने से लेकर , मल विसर्जन करने तक .अलावा इसके ह्यूमेन एक्स -क्रीमेंट्स (मल जल दोनों यानी मल और मूत्र के रूप में )नाइट्रोजन और फोस्फोरस के रूप में जल स्रोतों को भी संदूषित कर रहा है ।
एक साल में एक व्यक्ति कुल जितनी कार्बन डाई-ऑक्साइड वायुमंडल में बहु -विध झोंकता है उसमे से २० फीसद से भी ज्यादा हिस्सेदारी खाना खाने और उसे पचा -हजम कर मल विसर्जन करने की प्रक्रिया से ताल्लुक रखती है ।
एक इंसान अलावा इसके एक साल में २० गीगा जूल्स प्राइमरी एनर्जी हजम कर जाता है यानी कुलमिलाकर एक अरब जूल ।
अलावा इसके पशुओं से खाद्य (मांस और दुग्ध आदि )प्राप्त करने की प्रक्रिया का गहरा असर हमारे पर्यावरण और पारि-तंत्र (पारिस्थितिकी तंत्र )पर पड़ता है ।
कृषि तंत्र ,मवेशी (लाइव स्टोक ),फिशिंग और खाद्य उद्योग बड़े पैमाने पर कार्बन -डाई -ऑक्साइड जल संदूषण की वजह बनते हैं .मानवीय मल जल का दूसरा नंबर आता है.कुल मिलकर प्राकृतिक तत्व (जल ,वायु ,भूमी )गंधाने लगें हैं .प्राकृतिक तत्वों की तात्विकता ही नष्ट हो चली है ।
ह्यूमेन एक्स -क्रिशन (मानवीय मल जल )जल संदूषण की एक बड़ी वजह आखिर बन क्यों रहा है ?वास्तव में मल जल ओरगेनिक मैटर (ज़रूरी कार्बनिक पदार्थ )और पुष्टिकर तत्व प्रदान करता है जो एल्गी की बढ़ -वार और पल्लवन के लिए कच्चे मल की तरह काम करता है .
शुक्रवार, 5 नवंबर 2010
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