'एल्कोहल मोर हार्मफुल देन क्रेक ,हेरोइन '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर २ ,२०१० )।
समाज विज्ञानियों और साइसदानों की माने तो प्रतिबंधित नशीली दवाओं , जिनकी धड़ल्ले से तस्करी होती है के बरक्स शराब ज्यादा सामाजिक और वैयेक्तिक नुकसानी का वायस बनती है .व्यंग्य -विडंबन देखिये शराब राजस्व का एक बड़ा ज़रिया बनी कानूनी जामा पहने बैठी है इसकी खुली बिक्री वैधानिक है जबकि एक्सटेसी ,एल एस डी ,केनाबिस पाए जाने पर व्यक्ति को हवालात की हवा खानी पडती है ।
स्वास्थ्य सम्बन्धी नीतियों के नियंताओं के मार्ग दर्शन के लिए साइंस -दानों ने एक गाइड बनाई है .जिसमे ड्रग्स की रेटिंग केलिए मल्टीक्राइटेरिया डिसीज़न एनेलेसिस (एम् सी डी ए )को अपानाया गया है .इसमें उपभोक्ता को होने वाली नुकसानी का आकलन करने के लिए नौ तथा अन्यों को होने वाली नुकसानी के लिए सात बुनियादी बातों,सात क्राइटेरिया को आधार बनाया गया है ।
उपभोक्ता को होने वाली नुकसानी में ड्रग स्पेस्सिफिक (दवा -विशेष से होने वाली नुकसानी ),ड्रग -रिलेटिड हेल्थ (दवा से जुडी स्वास्थ्य की नव्ज़),स्वास्थ्य को होने वाली नुकसानी ,ड्रग डिपेंडेंस (ड्रग की गुलामी ,ड्रग के बिना न रह पाने को ),संबंधों में खटाश आदि को शामिल किया गया तथा अन्यों को होने वाले नुक्सानात में अपराध ,पर्यावरण की छीज़न,पर्यावरण को होने वाली नुकसानी ,पारिवारिक कलह ,इंटर -नॅशनल डेमेज ,आर्थिक कीमत ,सामाजिक टूटन और विखंडन को शरीक किया गया .१०० अंकों का एक स्केल बनाया गया जिसमे एल्कोहल को ज्यादा खतरनाक पाया गया क्रेक और हेरोइन से ,एल्कोहल को इस पैमाने पर सबसे ज्यादा घाताक ,कोकेन और तम्बाकू के असर से तीन गुना ज्यादा मारक पाया गया .हेरोइन और क्रेक कोकेन को दूसरा और तीसरा स्थान दियागया .लेकिन एक्सटेसी को एल्कोहल के बरक्स आठवां दर्जा ही नसीब हुआ .
बुधवार, 3 नवंबर 2010
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