बार -बार ग्रोइन में खुजली होने का मतलब भारत जैसे के उष्ण-कटी -बंधी क्षेत्र के लोगों के लिए खासकर बरसात के मौसम में फंगल -इन्फेक्शन भी हो सकता है ।
पहले देखें ग्रोइन शरीर का कौन सा इलाका है .दी पार्ट ऑफ़ दी बॉडी व्हेयर दी लेग्स ज्वाइन अट दी टॉप इन्क्लुडिंग दी एरिया एराउंड दी जेनीतल्स इज ग्रोइन .आल्सो दी एरिया बिटवीन थाईज़ एंड एब्दोमन ,दी जेनीतल्स,स्पेशियली दी तेस्तिकिल्स आर पार्ट ऑफ़ ग्रोइन विद रेस्पेक्ट टू फंगल इन्फेक्सन ।
यानी पूरा जघ्न -प्रदेश ,तेस्तीज़ (अंडकोष )और औरतों के मामले में जांघ की दराज़ के आसपास का पूरा हिस्सा ग्रोइन की परिधि में आ जाएगा जहां तक फफून्दीय -संक्रमण का ज़िक्र है ।
होता क्यों है यह संक्रमण ?
ज़ाहिर है यह पूअर -हाइजीन ,शरीर के रख -रखाव में ला -परवाही का मामला है .पसीना ज़मना जाँघों के बीच इसकी वजह बनता है .इसलिए ज़रूरी है,किसी भी वर्क -आउट ,टहल -कदमी ,घरेलू काम के दौरानपसीना आने के बाद उसे धौ-पौंछ कर स्नान कर लेना चाहिए . नम और गीला मौसमखासकर इसकी वजह बनता है ।
ज़रूरी है परिश्रम करने के बाद नहाया जाए .पसीना तो इस मौसम में आना ही है .जघन -प्रदेश को साफ़ सुथरा और सूखा रखिये .सूती वस्त्र पहनिए .खुजली होने पर स्किन -और वी डी एक्सपर्ट के पास पहुँचिये .ज्यादा संभावना इस बात की है क्लोत्रिमाजोल युक्त चमड़ी पर मलने वाली फफूंद -रोधी क्रीम आपको तजवीज़ की जायेगी .एंटी -फंगल टेबलेट्स भी साथ में दी जा सकतीं हैं ,मेदिकेतिद टेलकम पाउडर भी .किसी क्रीम या गोली से एलर्जी है तो बतला दीजिये .कुछ लोगों को क्लोत्रिमाजोल से भी एलर्जी हो सकती है ।
बहर-सूरत किसी भी सूरत में आयल या फिर स्तीरोइड क्रीम का स्तेमाल न करें .हालत और खराब हो सकती है .८ -१० ग्लास पानी पीयें.जंघाओं के बीच पसीना न ज़मने दें .सूखा रखें यह इलाका .साफ़ भी .पसीना होने पर पाउडर न लगाएं .
मंगलवार, 2 नवंबर 2010
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