गुरुवार, 4 नवंबर 2010

जीवन रक्षक एम् आर आई प्रागुक्ति भी कर सकता है 'स्ट्रोक 'की .


एक नए अध्ययन के अनुसार एम् आर आई आपात कालीन इलाज़ के बतौर न सिर्फ स्ट्रोक किस वक्त पड़ा इसकी सही पड़ताल कर सकता है यह भी बतला सकता है टिश्यु प्लाज्मिनोजन एक्टिवेटर (आघात के फ़ौरन बाद प्रयुक्त जीवन रक्षक दवा ) देना कितना मुफीद रहेगा .स्ट्रोक पड़ने के ४-४.५ (चार साढ़े चार घंटों के भीतर )यह दवा देना दवा की कारगरता के लिए ज़रूरी होता है ).इस अवधि में दवा खून के थक्के को हठा देती है ,धमनी को खोल देती है ।
इश्केमिक स्ट्रोक के मामले में यह अवधि और' टी पी ए' दवा दोनों जीवन रक्षक बन जाती है ।
इसके बाद इस दवा का स्तेमाल दिमाग में रक्त स्राव की वजह भी बन सकता है .यह अवधि एक क्रूशियल विंडो है .पेरिस विश्वविद्यालय के रिसर्चरों के अनुसार इस बात का फैसला एम् आर आई ही कर सकता है .पिन पॉइंट कर सकता स्ट्रोक के वक्त को .टी पी ए उस वक्त कितना कारगर रहेगा इसका फैसला भी एम् आर आई देखने के बाद ही किया जाता है .इस प्रकार हज़ारों -हज़ार लोगों को बचाया जा सकता है .समझा जाता है फिलवक्त दुनिया भर में ५७ लाख लोग स्ट्रोक की वजह से ही मौत के मुह में चले जातें हैं .स्ट्रोक आज भी भूमंडलीय स्तर पर मौत की दूसरी बड़ी वजह बना हुआ है .

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