स्टेम -सेल जेब हेल्प्स मसल्स हील ,डिफाई एज (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया नवम्बर १२ ,२०१० )।
कोलोराडो विश्वविद्यालय ,बौल्डर के रिसर्च -दानों ने लेग इंजरी से ग्रस्त यंग माइस(कमसिन चूहों )को कलम कोशिकाओं की सुइयां लगाईं .ये स्टेम सेल्स यंग डोनर माइस से जुटाई गई थीं .जख्मी पेशियाँ दुरुस्त भी हुईं पहले की बनिस्पत दो गुना ज्यादा पुष्ट भी हुईं .प्रात्यारोपितकलम कोशिकाएं (ट्रांस -प्लान -टिड स्टेम सेल्स ) न सिर्फ पूर्ण -तय तब्दील हो चुकीं थीं ट्रांस -प्लान -टिड मसल की एजिंग भी थम गई ।
अब ये चूहे माइटी दमखम वाले बल्की मसल लिए हुए हैं . अब यदि यदि स्टेम -सेल जेब ऐसा ही असर मानवीय क्षतिग्रस्त पेशियों में भी दिखलाए तब मस्क्युलर डिस्ट्रोफी जैसी तकलीफों का समाधान मिल जाए जिसमे पेशियाँ छीजने लगतीं हैं .बुढापे की सामान्य प्रक्रिया के संग पेशियों की छीज़ंन भी कमतर हो जाए ।
कलम कोशिकाए ऐसी करामाती कोशिकाएं होतीं हैं जो बराबर अपना नावीकरण करती रहतीं हैं .दूसरी विशेषीकृत कोशिकाओं की नींव भी यही कलम कोशिकाएं रखती हैं ।
स्टेम सेल्स ने न सिर्फ क्षति ग्रस्त पेशियों को दुरुस्त ही किया ,दुरुस्त हुए मसल्स का साइज़ भी १७०%बढा दिया .ये चूहे अपने पू रे जीवन काल (२ बरस ) तक ऐसे ही पुष्ट मसल लिए रहे .स्वस्थ पेशियों में स्टेम -सेल जेब लगाने से कोंई फायदा नहीं हुआ .इसका मतलब यह हुआ ,इंजर्ड मसल में ही कुछ ऐसा है जो पेशीय बढ़वार को प्रेरित करता है .
शुक्रवार, 12 नवंबर 2010
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1 टिप्पणी:
उत्साहवर्द्धक।
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मिलिए तंत्र मंत्र वाले गुरूजी से।
भेदभाव करते हैं वे ही जिनकी पूजा कम है।
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