सोमवार, 1 नवंबर 2010

' डिस्कवरी 'की आख़िरी उड़ान में आदमी के साथ चूहे भी ...

ऑफ़ माइस एंड मेन :ए स्पेस ओडिसी फॉर रेट्स ऑन डिस्कवरी ' लास्ट वोयिज़ (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर १ ,२०१० )।
तीन नवम्बर,२०१० को जब स्पेस शटल डिस्कवरी आख़िरी बार उड़ान भरेगी तो इस बार इस अभियान में उसके साथ सह -अन्तरिक्ष -साथियों के रूप में १६ चूहे भी होंगे .मकसद इस बात की पड़ताल करना होगा क्यों अन्तरिक्ष यात्रा के दौरान अन्तरिक्ष अन्वेशियों के लिए विषाणु और रोगाणु जन्य रोग -संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है .क्या चीज़ बन जाती है रोग संक्रमण ट्रिगर जिसे अन्तरिक्ष यात्रा प्रेरण -उत्प्रेरण देती है .इस आखिरी अभियान का मकसद ही यह पता लगाना है कैसे और क्यों अन्तरिक्ष यात्रा रोग -प्रति -रोधी तंत्र को असर ग्रस्त करती है .क्या वजह बनती है स्पेस फ्लाईट इंद्युस्द इम्यून -सिस्टम -इम्पेयर -मेंट की .रोग संक्रमण प्रवणता क्यों एक दम से बढ़ जाती है .इसका फायदा सिर्फ अन्तरिक्ष यात्रियों को ही नहीं उन आबाल -वृद्धों को भी नसीब होगा जिनके रोग -प्रति -रोधी तंत्र पहले से ही अरक्षित हैं ।
यूं नासा गत पच्चीस सालों से ही इस बाबत अन्तरिक्ष यात्रियों तथा ऑन -बोर्ड रहे लेबोरेट्री एनिमल्स से सम्बद्ध आंकड़े जुटाता रहा है ।
लेकिन इस अभिनव अभियान और वैज्ञानिक प्रयोग में अभिनव माउस -एक्सपेरिमेंट में युनिवर्सिटी ऑफ़टेक्सास मेडिकल ब्रांच (गल्वेस्तों )तथा नासा का केलिफोर्निया कैम्पस स्थित एमिस रिसर्च सेंटर भी साझेदारी और सहयोग कर रहा है .फाइनल इम्युनोलोजिकल इन्वेस्तीगेसन होगा यह मिशन ।
अपोलो अभियानों के बाद से ही साइंसदानों को यह इल्म रहा है ,अन्तरिक्ष यात्रा के दरमियान और बाद में पृथ्वी पर लौटने पर लगातार अन्तरिक्ष अन्वेशियों के लिए रोग संक्रमण का ख़तरा मुह -बाए खडा रहता है .रोग प्रवणता बढ़ जाती है खासकर कोल्ड और फ्लू विषाणुओं के प्रति यात्री निहथ्थे(ज्यादा वल्नारेबिल )हो जातें हैं ,मूत्र -मार्ग संक्रमण लगने का ख़तरा और भी बढ़ जाता है ।
क्यों होता है यह सब इसी की पड़ताल का यह आखिरी मौक़ा है जिसमे मानव के संगी -साथी माइस शरीक हैं .गणेश का यह वाहन आहुति को सदैव ही तत्पर रहा है .

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