बुधवार, 3 नवंबर 2010

कैंसर के खात्मे के लिए किलर प्रोटीन .....

माहिरों के अनुसार 'पर्फोरिन 'वह मारक प्रोटीन है जो रोग -सेल्स (जो कैंसर युक्त कोशाओं में तब्दील हो चुकी हैं ,विषाणु द्वारा अपहरण जिनका हो चुका है ,जो स्वस्थ कोशाओं को डेमेज कर सकतीं हैं )को छलनी कर देती है .नतीज़तन इन सूराखों में होकर विषाक्त (टोक्सिक )एंजाइम्स कैंसर -कोशाओं में दाखिल होकर उन्हें नष्ट कर देतें हैं ।
और इस प्रकार मानवीय रोग प्रति -रोधी तंत्र (इम्यून सिस्टम ) की हिफाज़त करती है यह प्रोटीन .माहिरों के अनुसार यह प्रोटीन कैंसर के अलावा मलेरिया और डाय -बितीज़ के इलाज़ का नया रास्ता बतलाएगी ।
एक बेहद शक्तिशाली इलेक्ट्रोन माइक्रो -स्कोप की मदद से ऑस्ट्रेलियाई और ब्रितानी साइंसदानों की एक टीम ने पर्फोरिन के कैंसर -ग्रस्त कोशाओं के बींधने उनमे सूराख करने का पता लगाया है .इस दस साला अध्ययन के नतीजे विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित हुए हैं .पहली मर्तबा पता चला किस प्रकार पर फोरिन वे -वार्ड सेल्स का सफाया कर कैंसर जैसे खतरनाक किस्म के रोगों से छुटकारा दिलवा सकती है ।
हमारे प्रति -रक्षा तंत्र के हाथ लगने वाली यह अब तककी सबसे ज्यादा ताकतवर गोली है ,बुलेट है .हज़ारों - हज़ार रोग सेल्स हमारे छोटे से जीवन में अपनी विनाशलीला दिखलातीं हैं .पर्फोरिन के बिना हमारा काम चल नहीं सकता .यह तमाम तरह की रोग (डेमेज करने वाली कोशाओं )से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है ।
इसे सही में ही 'वेपन ऑफ़ क्लींजिंग एंड डेथ कहा जा रहा है ।
पर्फोरिन यदि हमारे शरीर में अपना काम ठीक से अंजाम न दे पाए तब ,हमारा शरीर संक्रमित कोशाओं का मुकाबला ही न कर सके ।
चूहों पर संपन्न अध्ययनों से पुष्ट हुआ है ,विकारयुक्त पर्फोरिन मलिग्नेंसी (ट्यूमर ) को हवा देती है .एक दम से बढा देती है .खासकर ल्यूकेमिया के मामले ।
माहिरों के अनुसार बहुत सी आणविक समानताएं पर्फोरिन और एंथ्रेक्स जैसी बेक्तीरियल टोक्सीन्स(जीवाणु जन्यविषाक्त पदार्थ ),लिस्तेरिया और स्त्रेप्तो -कोकस आदि में मौजूद हैं .

कोई टिप्पणी नहीं: