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स्नान (नहाने ,बाथ लेने )के बाद पैरों को अच्छे से पोंछने के बाद बाकी बची नमी को प्लेन पेट्रोलियम जेली या फिर हाथों पर मलने वाली बिना खुशबू की क्रीम से ढक लीजिये .डायबिटीज़ पैरों की चमड़ी को बदल के रख सकती है .एक दम से नमी -रहित हो (सूख )सकतें हैं आपके पैर .ऐसे में ऊपर की चमड़ी उतर भी सकती है ,फट भी सकती है ।
दरअसल तेल एवं नमी को नियंत्रित (विनियमित )करने रखने वाली नर्व्ज़(स्नायु या नसें )मधु -मेह पुरानी हो जाने पर काम करना बंद कर देतीं हैं ।
ऊंगलियों और अगूंठे (बिग टो )और ऊंगलियों के बीच तेल या क्रीम कुछ भी मत लगाइए .अतिरिक्त नमी रोग -संक्रमण (इन्फेक्सन )की वजह बन सकती है ।
पैरों को सूखा (बिना नमी के, ड्राई )रखिये :
चमड़ी का घट्टा(कैलस)प्युमाईस स्टोन से हठाइये सावधानी पूर्वक बिना चमड़ी को विक्षत किये .डाय -बेटिक्स के लिए समस्या बने रहतें हैं कैलसिज़ यदि इन्हें सावधानी पूर्वक ट्रिम न किया जाए तोयह थिक होकर टूटने लगतें हैं ऐसे में अल्सर बनने का ख़तरा पैदा हो जाता है .(ओपन शोर्स से बचना है ).अपने स्वास्थ्य कर्मी से कैलसिज़ साफ़ करवाइए समस्या पेश आने पर ,खुद कुछ मत करिए .केमिकल एजेंट्स का कोंस ,कैलसिज़ को हठाने के लिए भूल कर भी स्तेमाल न करें .आपकी चमड़ी जल सकती है .(ज़ारी ....)
बुधवार, 17 नवंबर 2010
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2 टिप्पणियां:
नोट करने लायक जानकारी ...keep posting such things
shukriyaa zanaab .
veerubhai .
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