डैरी-उत्पाद और मांस -मच्छी की खपत २०५० तक आज से दोगुनी हो जायेगी .जलवायु पर इसका बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पडेगा .संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के अनुसार जुगाली करने वाले पशु जितनी ग्रीनहाउस गैस मीथेन उगलतें हैं (जुगाली करने और डकार मारने के दरमियान )विश्व -व्यापी तापन (ग्लोबल -वार्मिंग ) में उसका असर दूसरी ग्रीन हाउस गैस कार्बन -दाई -आक्साइड से २३ गुना ज्यादा ठहरता है .इसीलियें एक और विज्यानी अब प्रयोगशाला में पार्क ,बीफ ,चिकिन और लेम्ब तैयार करलेना चाहतें हैं और दूसरी और ऑस्ट्रेलियाई विज्यानी भेड़ों की एक ऐसी ब्रीद (किस्म )तैयार कर रहें हैं ,जो बहुत कम डकार लेगी .डकार के दरमियान भेड़ग्रीन हाउस गैस मीथेन छोड़तें हैं ,अलबत्ता बहुत कम मात्रा में गुदा के ज़रिये भी (पादने )ऐसा होता है ।
प्रयोग शाला में तैयार गोश्त से तरह तरह की चटनियाँ ,सासेज़िज़ भी तैयार की जा सकेंगी अन्यसंसाधित उत्पाद भी .इससे लाखों पशुओं को जहाँ जीवन दान मिलेगा पर्यावरण -पारिस्तिथिकी की सेहत भी थोड़ी सुधरेगी .
सोमवार, 30 नवंबर 2009
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