लीवर की एक जान लेवा बीमारी है -लीवर -सिर -होस -सिस जिसमें हेल्दी सेल्स का स्थान स्कार तिस्युस लेते चले जातें हैं .एल्काहिलिज्म इसका का ज्ञातकारण रहा है ।
अब ओबेसिटी यानी मोटापे को अपेक्षया ज्यादा खतरनाक ट्रिगर बतलाया जा रहा है -लीवर की इस ला -इलाज़ बीमारी के लिए ।
ब्रिटिश सोसायटी ऑफ़ गैस्ट्रो -एन्तेरोलोजी के मुखिया क्रिस्टोफर हाकी के मुताबिक इस शती में देखते ही देखते ओबेसिटी शराब की लत के बरक्स लीवर की ज्यादा बड़ी नुकसानी की वजह बन जायेगी ,इतना ही नहीं ,आदमी की उम्र (लाइफ एक्स्पेक्तेंसी -लान्जेविती )भी शती के अंत तक इतनी नहीं रह जायेगी -थेंक्स तू ओबेसिटी विच इज गोइंग तू बी ऐ बिगर किलर ।
एक तरफ़ कई तरह के कैंसरों और दूसरी तरफ़ हिप और नी -सर्जरी के मामलों में इजाफा होने जा रहा है ।
हाल ही में १९५९ लोगों पर किए गए एक सर्वे से यह बात खुलकर सामने आई है ,लोग बाग़ -हाई -पर -टेंशन ,डायबिटीज़ और इन्फर्तिलिती (औरत मर्द दोनों के बाँझपन ) के लिए तो मोटापे को कुसूरवार मानतें हैं ,लेकिन लीवर के लिए मुह -बाए खड़े ज्यादा बड़े खतरे से वाकिफ नहीं हैं ।
आज ६५ साल के नीचे की उम्र के लोग यकृत की बीमारियों से ज्यादा मर रहें हैं जबकि इसी आयु वर्ग के लोगों में डायबिटीज़ ,कैंसर और स्ट्रोक (सेरिबरल वेस्क्युलर एक्सीडेंट )से मौत के मामले उतने नहीं रहें हैं ।
लीवर दीजीज़ से होने वाली मौतों की औसत उम्र अब घटकर ५९ पर आ गई है जबकि हृद रोगों और स्ट्रोक्स के लिए इसका औसत ८२ -८४ वर्ष है ।
सन्दर्भ सामिग्री :-कट दी फ्लेब :ओबेसिटी देमेजिज़ लीवर मोर देन एल्कोहल (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर २ ,२००९ ,पृष्ठ १३ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
सोमवार, 2 नवंबर 2009
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