सोमवार, 2 नवंबर 2009

हृद रोगों से मुकाबले में चारकोल मदद गार हो सकता है .

जिन लोगों की गुर्दे की बीमारी बढ़कर लाइलाज होने लगी है उनमे हृद रोगों से जूझने में चारकोल मददगार हो सकता है ।
अब तक संपन्न अध्धय्यनों में यह बारहा देखा गया है ,उन लोगों में धमनियों का खुरदरा पन ,धमनी काथिन्न्य (आर्थ्रा -स्केलो-रोसिस )भी ज्यादा पाया गया है जिनकी किडनी दीजीज़ एडवांस्ड स्टेज में पहुँच गई है ।
फल -तया हृद रोग भी इनकी जान लेता रहा है ।
पूर्व में चिकित्सक ओरल एक्तिवेतिद चारकोल की एक किस्म ऐ एस टी -१२० का स्तेमाल आपातकालीन इलाज़ के तौर पर कई किस्म की विषाक्त -ता से छुटकारा दिलाने में करते रहें हैं ।
लेकिन अब ताज़ा तरीन अध्धय्यनों से जो अमेरिकन सोसायटी ऑफ़ नेफ्रोलोजी के समक्ष रखे गएँ हैं ,पता चला है -ऐ एस टी -१२० गुर्दे के रोगों के इलाज़ में भी कारगर है ।चार कोल ब्लेक और डार्क ग्रे किस्म ही है कार्बन की .हीतीं- इंग वुड आर एनादर ओरगेनिक सब्सटेंस इन एन एन्क्लोज्द स्पेस विदाउट एअर प्रोद्युसिस चारकोल (कार्बन ही है चारकोलकाले भूरे रंग का जिसे लकड़ी या फ़िर किसी भी कार्बनिक पदार्थ को वायु की गैर -मौजूदगी में गर्म करने से हासिल किया जा सकता है .
चारकोल में हेल्प फाइट हार्ट दीसीज़ ,सेज स्टडी (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर २ ,२००९ ,पृष्ठ १३ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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