१९१२ में माउन्ट किली मंजरों (अफ्रिका की सबसे ऊंची हिमनद चोटी )हिमाच्छादित थी .२००७ में पता चला ८५ फीसद हिम का इस शिखर से सफाया हो चुका है ।
२००० के बाद से तो हिम्चादर २६ फीसद सिकुड़ चुकी है यही आलम रहा तो आइन्दा २० सालों में चोटी गंजी हो जायेगी ।
"आइस शीट"-ढूंढते रह जाओगे ।हम नहीं ऐसा पुरा-जलवायु -विज्ञानी कह रहें हैं।
हिम चादर के सफाए की बड़ी वजह विश्व -व्यापी तापमानों में वृद्धि को ही बतलाया जा रहा है .हालाकि बरसात और क्लौदी नेस क्लाउड कवर में बदलाव भी एक कमतर वजह हो सकती है ।
विज्ञानियों के ही शब्दों में "चेंजिज़ इन क्लाऔदिनेस एंड प्रेसिपिटेशन में हेव आल्सो प्लेड ऐ स्मालरलेस इम्पोर्टेंट रोल । "
यह पहली मर्तबा है विज्ञानियों ने परबत के हिमानी मैदानों से विलुप्त हिम -राशि का जायजा लिया है ।
"इफ यु लुक अत दी परसेंटेज ऑफ़ वोल्यूम लोस्ट सिंस २०० ० ,वर्सस दी परसेंटेज ऑफ़ एरिया लोस्ट एज दी आइस फील्ड्स श्रिंक ,दी नंबर्स आर वेरी क्लोज़ "-ज़ाहिर है हिम पिघलाव अप्रत्याशित रहा है ।
पर्बतीय हिमनदों का सफाया दो टूक है .साल डर साल हिमनद पश्च गमन कर रहें हैं ,अपने ही हाशियों( मार्जिन्स )से पीछे की और लौट रहें है -पर्बतीय हिमनद ।
साथ ही सतह से भी हिम चादर झीनी पड़ गई है ,छीज गई है (थिनिंग ऑफ़ दी आइस शीट फ्रॉम दी सर्फेस इज अपेरेंट वहा- इल दी ईयरली लोस ऑफ़ दी माँ -उन्तें न ग्लेशिअर
इज मोस्ट अपेरेंट फ्रॉम दी रिट्रीट ऑफ़ दे -आर मार्जिन्स ।
उत्तरी और दक्षिणी हिमानी मैदानों के शिखर (अतोप किलिमंजारो )१.९ और ५.१ मीटर छीज गए हैं ।
कुल मिलाकर गत ११ सहस्राब्दियों में माउन्ट किलिमंजारो की जलवायु का आज जो आलम है वैसा कभी नहीं रहा ।
सन्दर्भ सामिग्री :-"नो स्नो ओं न किलिमंजारो इन २० ईयर्स (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर ३ ,२००९ ,पृष्ठ १७ )
प्रस्तुति :-वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
मंगलवार, 3 नवंबर 2009
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