जापान इन दिनों अपने एक कोयला बिजली घर पर मंडराते कार्बन डाइऑक्साइड बादल से निजात दिलवाने के लिए एक अभिनव लेकिन विवादास्पद प्रोद्योगिकी आजमाने जा रहा है -कार्बन केप्चर एंड स्टोरेज .बिजली घर "मिकावा पावर स्टेशन "जापान के दक्षिणी फूकुओका कोस्ट पर अव्स्तिथ है ।
इस बिजली घर पर मंडराते कार्बन डाइऑक्साइड के बादल जल्दी ही पृथ्वी के गर्भ में कार्बन के रूप में गहरे दफन कर दिए जायेंगे ।
तोशिबा निगम इस अभिनव प्रोद्योगिकी को पुनर-प्रयोज्य ऊर्जाओं के संपूरक के बतौर देख समझ रहा है ।
इस बिजली घर का चयन एक पायलट साईट के तौर पर किया गया है .इसे विंड और सोलर ऊर्जा के विकल्प की मानिंद लिया जा रहा है ।
उद्योगिक उत्सर्जन को इस दौर में कैसे भी कम करना ज़रूरी समझा जा रहा है जो विश्व -व्यापी तापन के लिए कुसूरवार ठहराया जा चुका है ।
जापान में कार्बन डाइऑक्साइड स्टोरेज के लिए एक स्टडी ग्रुप तैयार किया गया है -जापान,स रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ़ इन्नोवेटिव टेक्नोलोजी फॉर दी अर्थ के शिगेओ के नेत्रित्व में इसका गठन किया गया है ।
गत माह ६ मंजिला "तोशिबा ट्रायल प्लांट "ने फ्ल्यू गैस से तकरीबन १० टन कार्बन डाइऑक्साइड अलग किया ।
जब कोयला बिजली घर में कोयला जलता है तब फ्लुए गैस पैदा होती है .इसी से कार्बन केप्चर कर दफन करने के लिए कमर कस ली गई है ।
पायलट प्लांट अभी उत्सर्जन का १० फीसद अंश ही केप्चर कर पा रहा है ,समस्या कार्बन डाइऑक्साइड को स्टोर करने की भी है देर सवेर जिसका हल ढूंढ कर ९० फीसद तक प्रदूषक प्लांट से अलग कर दफन करने की तैयारी है ।
सन्दर्भ सामिग्री :-जापान तू बरी ग्रीनहाउस गैस एमिशन्स (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर २ ,२००९ ,पृष्ठ १३ ।)
प्रस्तुति :-वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई )
सोमवार, 2 नवंबर 2009
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