जीवाणुओं का सूक्ष्म संसार कितना वैविध्य पूर्ण रहा है इसका जायजा अब कोलोराडो विश्व -विद्यालय (बौल्डर )के शोध छात्रों ने एक जीवाणु एटलस तैयार करके प्रस्तुत किया है ।
हमारे शरीर के अंगों में विविध प्रकार के जीवाणुओं का डेरा है ,एक अंग में मौजूद जीवाणु दूसरे अंग में पाये जाने वाले जीवाणुओं से जुदा हैं .शरीर के तमाम शरीर प्रकिर्यात्मक व्यापारों को यही जीवाणु निर्बाध चलाये हैं ।
एंटीबायोटिक्स का बढ़ता चलन इनमे से कई यूजफुल बेक्टीरिया का भी खात्मा करदेता है ,इसीलिए साथ में प्रोबायोटिक्स देने का चलन भी बढ़ा है .लेक्टिक एसिड बे -साईं -लॉस भी कई जीवाणु रोधी दवाओं में शामिल किया जाता है ।बी -काम्प्लेक्स भी इसी वजह से साथ में दिया जाता रहा है .
बहर -सूरत तकरीबन १०० ट्रिलियन (एक लाख अरब )जीवाणुओं का डेरा है -हमारी काया में ,शरीर के उद्भव और विकास में भी इन जीवाणुओं की महती भूमिका है ।
सन्दर्भ सामिग्री :-नाओ एटलस ऑफ़ बेक्टीरिया इन ह्यूमेन बॉडी (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर ७ ,२००९ ,पृष्ठ १९ )
प्रस्तुति :-वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें