"ऐ सुपर -वूमन वर्क आउट कैन रिदुयुस प्रग्नेंसी चान्सिस "शीर्षक है उस ख़बर का जो टाइम्स ऑफ़ इंडिया के १० नवम्बर २००९ अंक पृष्ठ १५ पर छपी है .बहुत समय पहले इसी प्रकार की एक और ख़बर पढ़ी थी -स्त्रेन्युँस एक्स्सर
-सैजिज़ के दौरान स्प्रिन्तार्स और मैराथन रुन्नेर्स अपनी मेंस्त्र्युअल साइकिल को एक स्विच की तरह आन आफ कर लेतीं हैं .दोनों ख़बरों का लब्बोलुआब आपस में कहीं ना कहीं यकसां हैं .१० नवम्बर की ख़बर उस अध्धय्यन से ताल्लुक रखती है जिसमे बतलाया गया है ,"जिम "में ज्यादा वक्त बिताने वाली महिलायें गर्भाधान के मौके कमतर कर लेतीं हैं ।
नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नालाजी के शोध छात्रों ने बतलाया है ,सुपर वूमन वर्क आउट गर्भाधान सम्बन्धी समस्याओं को तीन गुना ज्यादा बढ़ा देता है .अपेक्षा कृत युवा महिलाओं को इस परेशानी से ज्यादा दो चार होना पड़ता है ।
इनमे से जो सबसे ज्यादा समय" जिम" में बितातीं थी ज्यादा व्यायाम करतीं थी माँ बन ने की चाह के पहले साल में इनके प्रयासों को सिर्फ़ २५ फीसद कामयाबी मिली जबकि राष्ट्रीय औसत ७ फीसद रहा .एक कामयाब गर्भाधान के लिए जितनी ऊर्जा और दमख़म शरीर को चाहिए कठोर वर्क आउट उसे ले उड़ता है ।
अध्धय्यन के दरमियान ३००० महिलाओं से १९८४ -१९८६ के बीच प्रशिक्षण के चलते फिटनेस रिजीम से ताल्लुक रखने वाले सवाल मसलन फ्रीक्युएंसी ड्यूरेशन एंड इन्तेंसिती ऑफ़ दे एर फिटनेस रिजीम के बाबत पूछा गया .दस साल बाद उनसे गर्भधारण के बारे में पूछा गया ।
दो समूहों का पता चला .जिन्हें इन्फर्तिलिती (गर्भ धारण में दिक्कत )का जोखिमज्यादा उठाना पडा .इनमे से एक समूह की महिलाओं ने प्रशिक्षण में रोजाना भाग लिया था ,लेकिन इनमे से भी कुछ ने तब तक अभ्यास किया जब तक वह थक कर निढाल (चूर )ना हो गईं ।
जिन्होंने दोनों काम किए उन्हें बाँझपन का ख़तरा ज्यादा झेलना पडा .हालाकि यह प्रभाव (वास्तव में दुस्प्रभाव अस्थाई थे ),ज्यादा तर महिलायें इनमे से भी अंत में माँ बन ने का सुख उठा सकीं .लेकिन प्रशिक्षण के बाद के वर्षों में .,ही ऐसा हो सका ।
(दी वास्त मेजोरिटी ऑफ़ डेम हेड चिल्ड्रेन इन दी एंड ,"सैद गुद्मुन्स्दोत्तिर ।"
एंड डोज़ हु ट्रेंड दी हार्देस्त इंडी मिडिल ऑफ़ दी १९८०ईज़ वर अमंग डोज़ हु हेड दी मोस्ट चिल्ड्रन इन दीद १९९०ईज़ "
सन्दर्भ सामिग्री :-टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर १० ,२००९ ,पृष्ठ १५
प्रस्तुति :-वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
मंगलवार, 10 नवंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें