इंसुलिन आधारित डायबिटीज़ (जीवनशैली मधुमेह यानी सेकेंडरी डायबिटीज़ )के मरीज देर सवेर इंसुलिन सुइयों की जगह बबिल्गम का स्तेमाल कर सकेंगे ।
शोध करता एक ऐसा गम तैयार कर रहें हैं जिसके ज़रिये इंसुलिन ओरली यानी मुख से भी बबिल्गम के बतौर ली जा सकेगी जो सीधे रक्त संचार प्रणाली में चली जायेगी ।
अब तक दिक्कत यही रही है ,इंसुलिन हो या कई अन्य दवाएं गोलियों के रूप में इसीलियें नहीं खाई जा सकीं हैं ,यह पाचन प्रणाली में पहुँच कर अपनी कारगरता खो बैठतीं हैं .कारण होता है -आमाशय में तेजाब का बनना (एसिड बाठ)तथा अंतडियों में तरह तरह के एंजाइम्स (किन्वकों )का बनना .दोनों मिलकर दवा के प्रभाव को बेअसर बना देतें हैं ।
अब केलिफोर्निया विश्व -विद्यालय के प्रोफेसर तेजल देसाई एक ऐसी प्राविधि तैयार कर रहें हैं जिसके तहत इंसुलिन को माइक्रो स्कोपिक केप्स्युल्स के ज़रिये सीधे सीधे रक्त संचार प्रणाली में भेजा जा सकेगा .ये अति सूक्ष्म केप्स्युल लार में तेजी से घुल जायेंगे और सीधे सीधे यहीं से रक्त संचार में पहुँच जायेंगे ।
ये केप्स्युल्स सपा -इन्स के खोल में रखे जातें हैं जो अंतडियों की दीवार से चिपक जातें हैं इनकी आज़माइश की जा रही है ताकि यह जाना जा सके ,कितना सुरक्षित है इनका स्तेमाल ।
अमरीकन इंस्टिट्यूट ऑफ़ फिजिक्स में इस नै जानकारी को रखा जाएगा ।
इंसुलिन के अलावा कई हारमोंस तथा एंटी -इन्फ्लेमेत्री ड्रग्स भी बबिल्गम के द्वारा रक्त संचार प्रणाली में भेजे जा सकेंगे .
गुरुवार, 12 नवंबर 2009
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