फल -फूल और मसालों में कुछ वाष्प -शीलरसायन (वोलाताइलकेमिकल्स ) होतें हैं जो लगातार वाष्प बनके उड़ते रहतें हैं .आस पास के परिवेश को इन्हीं रसायनों के अणु सुगंधी से भर देतें हैं ।
इसका मतलब यह है ,पुष्प एक कुदरती इतर फुलेल पैदा करतें हैं ,यह सेंटपरफ्यूम्स की मानिंद एक यौगिक हैअनेकानेक रसायनों का ,जिनका अणु भार कमतर होता है ,जो वाष्प शील होतें हैं ,जैसे इस्टर .यही अणु वाष्पीकरण और विसरण (दिफ्युज़ं न )की प्रक्रिया के तहत आस पास के परिवेश में ठहर जातें हैं ,और वायुमंडल को एक सुरभि से भर देतें हैं ।
इन योगिकों की प्रकृति जुदा होती है हर फल फूल में ,इसीलिए हरेक की अपनी एक परिचित सुवास है ।
जिन पादपों का परागन मधु मख्खी ,इतर मख्खियाँ करतीं हैं उनकी सुवास मीठी जबकि भृंग द्वारा इतर कीट पतंगों द्वारा जिनका परागन होता है उनकी गंध मस्ती और स्पाइसी होती है .कई मर्तबा बासा ,दुर्गंधित ,पुरानी किताबों सी .
रविवार, 22 नवंबर 2009
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