यूँ पेंसिलीन का स्तेमाल बेक्तिरीयल इन्फेक्शन से बचाव के लिएगर्भावस्था में निरापद माना गया है -फीटस के लिए ,तो भी एंटीबायोटिक्स का चयन खासी सावधानी की अपेक्षा रखता है ताकि इसका खामियाजा भ्रूण को ना उठा ना पड़े ।
जीवाणु संक्रमण निश्चय ही भ्रूण को नुक्सान पहुंचा सकतें हैं ,इसलिए जीवाणु रोधी दवा के बिना भी काम नहीं चलने वाला है लेकिन चयन में अतिरिक्त सावधानी बरतनी ज़रूरी है ।
मूत्र -मार्ग के संक्रमण से बचाव के लिए स्तेमाल में लिए जाने वाले आम जीवाणु रोधी और बर्थ -दिफेक्ट्स में एक अन्तर सम्बन्ध की पुष्टि शोध छात्रों ने हाल ही में की है ।
एक दीर्घावधि अध्धय्यन से पता चला है -जिन गर्भवती महिलाओं ने जेस्तेशन पिरिअद में दो प्रकार के एंटीबायोटिक्स -सल्फा ड्रग्स और यूरिनरी जर्मिसैड्स -ना -इतरो -फ़्युरेन्तोइन्स का स्तेमाल किया था उनके नवजातों में बर्थ दिफेक्ट्स अपेक्षया ज्यादा देखे गए बरक्स उन माताओं के जिन्होंने स्वस्थ नौनिहालों को जन्म दिया था ।
यूरिनरी ट्रेक्ट ट्रीटमेंट और बर्थ दिफेक्ट्स में पहली मर्तबा सीधे सम्बन्ध की पुष्टि की गई है ।
अलबत्ता इन नतीजों को पुख्ता करने के लिए अभी और भी अध्धय्यन चाहिए ।
सल्फा ड्रग्स का चलन मुद्दतों से है जबकि कुछ एनीमल स्टडीज़ में इनका सेवन गर्भावस्था के दरमियान नुक्सान दायक पायागया है .जबकि पूर्व में यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन के इलाज में इन्हें निरापद माना गया था ।
डॉक्टर्स ना -इतरो -फ़्युरेन्तोइन्स का स्तेमाल मूत्र मार्ग संक्रमण के इलाज़ में करते रहें हैं आर्काइव्स ऑफ़ पिद्रियातिक्स एंड एदोलिसेन्त मेडिसन उक्त अध्धय्यन प्रकाशित हुआ है ।यह अध्धय्यन इलाज़ में दूसरे एंटीबायोटिक्स के स्तेमाल के विषय में डॉक्टरों को सोचने के लिए बाध्य करेगा ।
सल्फा ड्रग्स जन्य बर्थ दिफेक्ट्स में रे -आर ब्रेन एंड हार्ट प्रोब्लम तथा शोर्तेंद लिम्ब्स शामिल हैं ,जबकि ना -इतरो -फ्युरेंतों- इन को गर्भावस्था में हार्ट प्रोब्लम्स ,क्लेफ्ट पलेट (खंड तालू )के लिए उत्तरदाई माना गया है .ये दवाएं हैं इन खतरों में दो से तीन गुना तक इजाफा कर सकतीं हैं ,यह विकार की प्रकृति पर निर्भर करता है ।
सन्दर्भ सामिग्री :-"एंटीबायोटिक्स कैन काज बर्थ दिफेक्ट्स "(टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर ४ ,२००९ ,पृष्ठ १९ )
प्रस्तुति :-वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
बुधवार, 4 नवंबर 2009
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