"बिग बैंग "की ही सहज परिणती हो सकती है -बिग क्रंच .हम जानतें हैं और तथ्यों के आधार पर अच्छी तरह मानतें है -सृष्टि का जन्म अब से करीब १३ -१५ अरब वर्ष पूर्व एक आदिम अनु में महाविस्फोट से हुआ .यह प्राइमीवल एटमअपने शून्य घनत्व और शून्य आयतन में सृष्टि का तमाम गोचर अ-गोचर पदार्थ -ऊर्जा छिपाए हुआ था .तब ना समय था ना आकाश .यह आदिम अनू एक साथ सब जगह मौजूद था .इसे गणित में एक सिंगुलारिती एक अति वैशिष्ठ्य कहा जाता है जहाँ आकर तमाम ज्यात भौतिक वैज्ञानिक नियम दम तोड़ देतें हैं ।
(ऐ हाई -पोठेतिकल पॉइंट इन स्पेस ,ऐ हाई -पो -ठेतिकल रीजन इन स्पेस इन विच ग्रेविटेशनल फोर्सिज़ कॉज़ मैटर तू बी इंफिनिटली कंप्रेस्ड एंड स्पेस एंड टाइम तू बिकम इंफिनिटली दिस्तोर्तिद इज कॉल्ड ऐ मेथेमेटिकल सिंग्युलारिती ).
तब क्या ऐसा माना जाए एक दिन सृष्टि का विस्तार रुकेगा ,महा -विस्फोट के बाद से ही निरंतर जारी सृष्टि का विस्तार एक दिन गुरुत्वीय बलों के आगे समर्पण कर देगा ?
ऐसा हो सकता है -बशर्ते सृष्टि में व्याप्त पदार्थ की मात्रा एक क्रांतिक सीमा के पार चली जाए ,सृष्टि का औसत घनत्व एक क्रांतिक घनत्व के कमसे कम बराबर हो जाए ।
तब एक कोस्मिक इम्प्लोस्जन एक महा -कुचलाव के तहत सृष्टि बाहरी दुर्दमनीय दवाब से एक बार फ़िर अपने ही ऊपर ढेर होती दबती कुचलती चरमराती चली जायेगी .यह दवाब गुरुत्व मुहैया करवाएगा जो कास्मिक पैमाने पर दुर्दमनीय (सर्व -शक्तिशाली )हो जाता है .यही है -सृष्टि की अन्तिम परिणीती सहज सुफल -पहले बिग बैंग फ़िर बिग क्रंच .
रविवार, 8 नवंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें