दर्शनीय बनने संवर ने में महिलाए रोजाना जितने तरह के सौन्दर्य प्रसाधनों का स्तेमाल आज कर रहीं हैं ,विज्यान कर्मियों ,सौन्दर्य प्रसाधनों के माहिरों ने पता लगाया है उनमे कमस कम ५०० किस्म के रसायनों का डेरा होता है ।
फ़िर चाहे वह गोरा बनाने वाली कथित क्रीम हो या या कथित दुर्गन्ध नाशी (डियोडरेंट ),या फ़िर लिपस्टिक ,सभी में से एक एक में कमसे कम २० तक रसायन पाये जातें हैं ,इनमे से कितने कार्सिनोजंस (कैंसर कारी एजेंट का काम करतें हैं ,इसका कोई निश्चय नहीं ).हस्त -पाद -नख प्रसाधन भी रसायनों की इस मारा मारी से मुक्त नहीं हैं ।
ताम्बई (ताम्र रंगी )दिखने बन ने संवर ने की कीमत हर औरत को चुकानी पड़ती है ।
(बतला -देन आपको चुम्बन में विटामिन के अलावा रसायन भी होते हैं ,जिनमे से कई कैंसर भी पैदा कर सकतें हैं .सीरियल -किस्सर्स से क्षमा याचना सहित )।
एक डियोड्रेंट फर्म "बिओंसें "ने पता लगा या है ,एक सौन्दर्य सचेत आधुनिका रोजाना १३ प्रसाधन रोजाना औसतन स्तेमाल में लेतीं हैं ।
इनमे संयोजी (एडिटिव्स )भी शामिल होतें हैं ।
अब सद्य स्नाता नायिका का दौर नहीं हैं ,ब्यूटी क्लिनिक में सब कुछ मिलता है -ताम्बई रंगत से लेकर बिहारी कविवर की नायिका जो अभी अभी स्नान करके हाज़िर हुई है ।
अब स्तन ही सिलिकान के नहीं हैं ,बरौनी भी बनावटी बनवाई जातीं हैं
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