चीन की राजधानी को एक पखवाडे से कम समय में ही दो बार कृत्रिम हिम -तूफ़ान (ब्लिज्ज़रद )का सामना करना पडा है और यह सब उत्तरी चीन के एक बड़े हिस्से को संभावित सूखे से मुल्तवी रखने की नीयत से किया गया बतलाया गया है ।
बेजिंग वेदर मोडिफिकेशन ऑफिस का किया धरा है यह सब (स्रोत चाइना डेली ).इसके साथ ही वह शास्वत वाद विवाद फ़िर छिड़ गया है -प्रकृति के विधान में दखल देना कितना वाजिब है ?
बेशक नवम्बर १ ,२००९ को जिस हिम झंझावत से बीजिंग वासियों को दो चार होना पडा वैसा २२ बरस के बाद ही दर्ज किया गया है .लेकिन १० नवम्बर मंगल वार के दिन एक बार फ़िर बीजिंग की सड़कों पर गाडियां स्ल्श (हिम कीचड़ )में घिसटती देखी गईं हैं .जन जीवन अन्यथा भी असर ग्रस्त हुआ है .रेल एवं वायु -परिवहन असर ग्रस्त हुआ है ,लोगों की कनफर्म्ड उडाने रद्द हुईं हैं ।
थें मन चोक पर निहथ्थे लोगों को टेंकों से रोंदने वाले तंत्र के आगे ज़बान कौन खोले ,अपने यहाँ तो अब यार लोग रेल का इंजन भी ले भाग्तें हैं ।
नेशनल मेतेओरोलोजिकल सेंटर के मुताबिक आइन्दा तीन दिनों में और भी स्नो-स्टोर्म आयेंगे (आवाहन किया गया है क्लाउड सीडिंग करके ब्लिज्जार्द का )।
तिस पर तुर्रा यह है -आधिकारिक तौर पर इस स्नो -स्टोर्म को कुदरती बतलाया जा रहा है जबकि कुछ ही अरसा पहले सरकारी तंत्र ने फरमाया था -उत्तरी चीन को सूखे की मार से बचाने के लिए क्लाउड सीडिंग ज़रूरी हो गया था ।
दीर्घावधि दुष्प्रभाव कुदरत के साथ की गई इस छेड़ छाड़ का क्या पडेगा इसका कोई निश्चय नहीं ।
("नो वन कैन तेल हाउ मच वेदर मेनिप्युलेषण विल चेंज दी स्काई "क्सिओं गैंग ,ऐ प्रोफेसरइन दी इंस्टिट्यूट ऑफ़ एत्मोस्फिरिक फिजिक्स अत दी चाइनीज़ अकादेमी ऑफ़ साइंसिज़ टोल्ड चाइना डेली ।)
बेशक हमें बरसात और हिमपात के लिए कृत्रिम उपादानों का सहारा एक सीमा के आगे नहीं लेना चाहिए ,आसमानी ताकतें और अनिश्चितताएं कुछ भी रंग ला सकतीं हैं ।
अरन्न्य रोदन सुनता कौन है ,फ़िर भी रो लेने में क्या हर्ज़ है ,मन ही हल्का हो जाएगा ।
सन्दर्भ सामिग्री :-साइंटिस्ट्स सीड क्लाउड्स ,बीजिन्गार्स रीप ऐ ब्लिज्ज़र्द (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर १२ ,२००९ ,पृष्ठ २४ )
प्रस्तुति :-वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
गुरुवार, 12 नवंबर 2009
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