एक अध्धय्यन के मुताबिक़ पृथ्वी का तापमान इस शती के अंत तक ६ सेल्सिअस बढ़ जाएगा .(पृथ्वी के तापमान में सिर्फ़ ४ डिग्री सेल्सिअस की घटबढ़ हिम युग और जलप्लावन (दिल्युज़ )की वजह बन जाती है ,इतना नाज़ुक है पृथ्वी का हीट बजट ।
ज़ाहिर है हम विनाश की और बढ़ रहें हैं ।
इसकी वजह २००२ के बाद से ही वायुमंडल में कार्बन की मात्रा का बेहिसाब बढ्जाना है ,इतनी मात्रा इस ग्रीन हाउस गैस की कुदरती तौर पर ज़ज्ब करने की पृथ्वी में भी नहीं है ,इसी से यह संकट मुह्बाये खडा है .पर कोई समझे तब न ।
ग्लोबल कार्बन स्टडी में मशगूल सात देशों के साइंस दानों ने पता लगाया है ,जीव अवशेषी ईंधनों के बड़े पैमाने पर होने वाले सफाए से २००० -२००८ के दरमियान कार्बन उत्सर्जन २९ फीसद बढ़ गया है ।
१९० देशों की अगले माह के सात दिसंबर को होने वाली कोपेनहेगन बैठक दुनिया के सामने आखिरी मौक़ा है ,संगठित कदम उठाने का ताकि जलवायु को नियोजित तरीके से उद्द्योगिक पूर्व के सुरक्षित मानक (स्तर ) के ऊपर लाकर स्तेब्लाईज़ किया जा सके .
यदि इसमे कोताही बरती गई (जैसी की आशंका है ),या फ़िर एक दम से लचर समझौता होता है गरीब अमीर देश अपना वायदा और ज़वाब देही से मुकर जातें हैं ,तापमान मात्र २.५ -३ सेल्सिअस नहीं शती के अंत तक ५-६ सेल्सिअस तक बढ़ जायेंगे ।
वक्त हाथ से निकल रहा है (दी टाइम स्केल्स हेयर आर एक्स्ट्रीमली टाईट फॉर वाट इज नीदिद तू स्तेबिलैज़ दी क्लाइमेट ).,अभी नहीं तो फ़िर कभी नहीं ।
सन्दर्भ सामिग्री :-अर्थ हेदिद फॉर सिक्स सेल्सिअस राइज़ इन टेम्प्रेचर (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर ,१९ ,२००९ ,पृष्ठ २१ )
गुरुवार, 19 नवंबर 2009
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