एक अध्धय्यन के मुताबिक़ अवसाद मौतके खतरे की उतनी ही बड़ी वजह बन रहा है जितना धूम्र पान .बेर्गें यूनिवर्सिटी नोर्वे और किंग्स कोलिज लंदन के मनोरोग संस्थान के विज्यानियों ने एक चार साला सर्वे में ६०००० लोगों के मृत्यु सम्बन्धी आंकड़ों को जुटाया .पता चला ,इस दरमियान मौत का ख़तरा अवसाद ग्रस्त लोगों और धूम्र पान करने वालों में एक जैसा बढ़ा हुआ दर्ज किया गया ।
यह भी पता चला अवसाद ग्रस्त लोगों में मौत का जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है बनिस्पत उन लोगों के जो अवसाद के साथ साथ एन्ग्जायती (औत्सुक्य )की भी गिरिफ्त में आ जातें हैं ।
बत्लादें आपको -दी एस एम् -४ (डायग्नोस्टिक स्तेतिस्तिकल मेन्युअल -४ )के मुताबिक़ अब डिप्रेशन (अवसाद )को एक स्वतंत्र रोग का दर्ज़ा हासिल है ।पहले इसे किसी और रोग का एक और लक्षण मात्र समझा जाता था .
इस रोग में व्यक्ति अपना आत्म विशवास खोकर ख़ुद की ही नज़रों में नाकारा (बेकार )हो जाता है .उसकी किसी भी चीज़ में दिलचस्पी नहीं रह जाती है .जीवन निरर्थक लगने लगता है ,बेमकसद .आत्म ह्त्या की प्रवृत्ति अक्सर बढ़ जाती है ।ऐसे मरीज़ को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए .नियमित दवा देना भी अपनी(तीमार दार की ) देख रेख में ज़रूरी है .
सन्दर्भ सामिग्री :-"डिप्रेशन इज एज डेडली एज स्मोकिंग (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर १९ ,पृष्ठ २१ )
प्रस्तुति :-वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
गुरुवार, 19 नवंबर 2009
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