एक अध्धय्यन के मुताबिक़ जो लोग इंटरनेट सर्फिंग ज्यादा करतें हैं उनके शुक्राणु तादाद में कमतर हो सकतें हैं सामान्न्य संख्या से .(स्वस्थ आदमी में प्रति घनमीटर इनकी एक क्रांतिक संख्या रहती है ।).
एनद्रोपेथी(रिलेटिड तू मेल आर मस्क्यूलिन - दिसीज़िज़ ) विभाग गुंग्क्सी ज्हुंग ,चीन के शोध छात्रों ने अपने एक अध्धय्यन में २१७ स्वयंसेवियों से स्पर्मेताज़ोआन (शुक्राणुओं )के नमूने जुटाए (पर इजेक्युलेषण ) जिसमे इस क्षेत्र के १९ विश्व -विद्यालयों और सम्बद्ध महा -विद्यालयों के छात्र शामिल थे .अलावा इसके १६४० छात्रों के बाहरी जननांग (तेस्तीज़ एंड पेनिस )का निरिक्षण किया गया ।
पचास फीसद छात्रों में स्पर्म काउंट (एक बार के डिस्चार्ज /इजेक्युलेषण से प्राप्त वीर्य में शुक्राणुओं की प्रति घन सेंटीमीटर तादाद )लो यानी सामान्य से कमतर पाया गया .जबकि ५६.७ फीसद छात्रों (सभी पुरूष छात्र थे पूरे अध्धय्यन में )के मामले में जो विश्व -विद्यालय में अध्धय्यन रत थे स्पर्मकाउंट एब्नोर्मल पाया गया ।
एक और अध्धय्यन में (जो उक्त अध्धय्यन से सम्बद्ध नहीं था )गत सप्ताह बतलाया गया है ,जो पुरूष घरेलू काम काज करतें हैं उनमे बच्चे पैदा करने के मौके कमतर हो जातें हैं ।
स्टेफोर्ड यूनिवर्सिटी ,केलिफोर्निया के शोध छात्रों ने मेल स्वयं सेवियों को विद्युत् -चुम्बिकीय क्षेत्र पैदा करने वाले उपकरण से काम करवाया ,पता चला वेक्युमिंग करने से (एक्सपोज़र तू वेक्युमिंग ) पुअर क्वालिटी स्पर्म काउंट का जोखिम दोगुना ज्यादा हो गया .यानी शुक्राणुओं की तादाद के संग गुणवत्ता भी गिरने का ख़तरा दोगुना ज्यादा हो गया . ।
शोध के अगुवा दे -कुन ली उन दम्पतियों को एलेक्त्रोमेग्नेतिक वेव्स के कमसे कम संपर्क में (इलेक्त्रोमेग्नेतिक वेव्स पैदा करने वाले उपकरणों से दूर रहने की सलाह देतें हैं जो संतान चाहतें हैं ,बच्चे पैदा करने को उत्सुक हैं ।
सन्दर्भ सामिग्री :-"इंटरनेट सर्फिंग अफेक्ट्स स्पर्म काउंट "(टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर २८ ,२००९ .,पृष्ठ १९ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
रविवार, 29 नवंबर 2009
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