अक्सर कहा जाता है -जैसा अन्न वैसा मन ,जैसा पानी वैसी वाणी ।
अब विज्ञान भी इस विचार पर अपनी मोहर लगा रहा है ,हालाकि मनो -रोग विद बरसों से मूड एलीवेटर फ़ूड की बात करते रहें हैं ,मूड डिप्रेसिव फ़ूड की भी ,पोषक और जंक फ़ूड भी चर्चित रहा है .आइये देखतें हैं -हकीकत क्या है ?
आधुनिक शोध के झरोखे से देखा जाए .एक वक्त था जब लार्ज चिकिन बर्जर और चोक्लित केक को मूड एलीवेटर का दर्जा प्राप्त था ।
अब तमाम तरह के परिष्कृत तले भुने ,चिकनाई सने ,हाई फेट देरी -उत्पादों को डिप्रेसिव बतलाया जा रहा है ।
डेज़र्ट भी इसी केटेगरी में रखे जायेंगे ।
चिकनाई सना केलोरी डेंस भोजन (ऐ डाइट रिच इन फेटी एंड प्रोसेस्ड फ़ूड )बचपन से बच्चों को देते चले जाना उन्हें मोटापे (ओबेसिटी )की और ले जाता है .वरिष्ठ मनो रोग विद संजय पटनायक (विद्या सागर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्युरोसैंसिज़ ,नै -दिल्ली )के अनुसार यही मोटापा बड़े होते होते अवसाद की तरफ़ ले जा सकता है ।
कम्फर्ट फ़ूड चीअरिंग हो सकता है क्योंकि इसमे एमिनो एसिड त्र्य्प्तोफें का डेरा है .यही त्रि -प्तोफें- न दिमाग में सिरोतेनिं न और न्युरोत्रन्स्मितर मिलेतो -नीं न का स्तर बढ़ा देता है .जो एक नींद उद्दीपक हारमोन है ।
लेकिन चोक्लित को चीअरिंग फ़ूड में शुमार ना किया जाए ।
यूनिवर्सिटी कोलिज लन्दन के शोध छात्र उक्त तमाम नतीजों पर अपनी मोहर लगातें हैं ।
अर्चना सिंह -मनौक्स (जानपदिक रोग एवं जन -स्वास्थ्य विभाग ,यूनिवर्सिटी कोलिज लन्दन )के नेत्रित्व में संपन्न अध्धय्यन में उक्त निष्कर्ष निकाले गए हैं .आप डिपार्टमेंट ऑफ़ एपी -देमिया -लाजी (जानपदिक रोग विज्ञान विभाग )एंड पब्लिक हेल्थ यूनिवर्सिटी कोलिज लन्दन से सम्बद्ध हैं ।
अध्धय्यन से यह भी ध्वनित होता है ,फल ,तरकारी और मछ्छी (फिश )डिप्रेशन के लक्षणों से बचाते ज़रूर है लेकिन पाँच बरस लग जातें हैं ऐसा होने में जबकि डिब्बा बंद गोश्त ,चोकलेट स्वीट डेसर्ट युक्त खुराख जिसमे अक्सर फ्राइड फूड्स रिफाइंड सीरिअल्स और हाई फेट देरी प्रोडक्ट्स भी जगह बनाए रहतें हैं अवसाद की तरफ ले जातें हैं ।
संदेश साफ़ है ,कोई पढ़ना चाहे तो पढ़ ले -फ़ूड से जुड़ी है मिजाज़ की नवज .
रविवार, 8 नवंबर 2009
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