शनिवार, 7 नवंबर 2009

आन पम्प कोरोनरी आर्टरी बाई -पास ग्रेफ्टिंग बेहतर ?

इन दिनों कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्रेफ्टिंग के पुराने (आन पम्प सी ऐ बी जी )और नए तरीकों (आफ पम्प सी ऐ बी जी )की कारगरता और कामयाबी को लेकर एक बहस छिड़ गई है ,कौन सा तरीका मरीज के लिए बेहतर है ,नया या फ़िर पुराना जिसमे दिल को पूर्ण विराम देकर उसका काम शल्य के दौरान एक आर्तिफिशिअल हार्ट लंग मशीन से ले लिया जाता है .समझा जाता है इस तरीके में सर्जन को चक्करदार लेकिन सुरक्षित रास्ता (बाई पास )रक्त संचरण के लिए मुहैया करवाने में ज्यादा सहुलियत हो जाती है .लिकिन शल्य चिकित्सकों का एक वर्ग संक्रमण की दृष्टि से इस तरीके को निरापद नहीं मानता समझता है ।
नए तरीके में दिल को ले दे कर स्तेब्लाईज़ कर बाई पास (घुमावदार वैकल्पिक मार्ग )रक्त संचरण के लिए तैयार किया जाता है ।
अब पता चला है -ओल्ड इज गोल्ड -पुराना तरीका ही बेहतर है .आशंका के विपरीत इस तरीके में मरीज़ की मानसिक क्षमता (मेंटल डिक्लाइन )ज़रा भी कम नहीं होती है ।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलाराडो डेनवरके फ्रेदेरिक्क ग्रोवर के नेत्रित्व में

संपन्न एक अध्धययन में बतलाया गया है -आफ पम्प सर्जरी करवाने वालों को लाभ के स्थान पर नुकसानी ही उठानी पड़ी है ।
हर साल तकरीबन २,५३,००० अमरीकी बाईपास ग्रेफ्टिंग करवातें हैं ,हिन्दुस्तान में भी अब यह एक आम फ़हम प्रोसीज़र है ।
पहले आन पम्प सर्जरी को पेचीला खासकर स्ट्रोक होने की आशंका लिए बतलाया गया था .भले ही कमतर ही सही ऐसा ख़तरा अन्तर्निहित बतलाया गया था परम्परा गत सर्जरी के लिए ।
१९९० के दशक में आफ पम्प सर्जरी चलन में आई .आज पाँच में से एक बाई पास औसतन आफ पम्प किया जाता है ।
न्यू -इंग्लेंड जर्नल ऑफ़ मेडिसन में अब तक का सबसे महत्वपूर्ण और विस्तृत अध्धय्यन प्रकाशित हुआ है ,जिसमे दोनों तरीकों के गुन दोष के बारे में बतलाया गया है इसमे २२०३ मरीजों को शरीक किया गया ।
१८ प्रमुख चिकित्सा केन्द्रों ने इसमे शिरकत की है ।
(अबाउट हाल्फ वर रेंडमली एसा -इंद तू बाई पास सर्जरी विद ऐ हार्ट लंग मशीन ,हाल्फ विदाउट )।
यानी बिना ख़बर किए आधे मरीजों पर आन पम्प बाकी आधे पर आफ पम्प सर्जरी आजमाई गई ।
महीने भर बाद मृत्यु एवं पेचीलापन दोनों ही वर्गों में यकसां देखा गया .कोई फर्क दिखलाई नहीं दिया ,लेकिन साल भर बाद आफ पम्प शल्य वाले १० फीसद मरीज या तो मर गए या फ़िर दोबारा इन्हें बाई पास की ज़रूरत पेश आ गई यानी एक बार फ़िर इनकी धमनियां अवरुद्ध हो गईं ।
जबकि आन पम्प ग्रुप में यह प्रतिशत सात (७ फीसद )ही रहा ।
(आल्सो दी आफ पम्प ग्रुप गात फ्युअर आर्टरी दी -तूअर्स देन ओरिजनली प्लांड एंड फ्युअर ऑफ़ दे -आर बाई पासइज़ वर स्टील ओपिन आफ्टर ऐ ईयर अबाउट ८३ परसेंट वर्सस ८८ परसेंट फॉर आन पम्प ।)
सन्दर्भ -सामिग्री :-"ओल्ड स्टाइल बाई पास से -फार देन ओपरेशन विद हार्ट बीटिंग "(टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नवम्बर ६ ,२००९ ,पृष्ठ १९ )
प्रस्तुति :-वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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