होलीवुड फ़िल्म "२०१२ "ने जिस मिथ की सृष्ठी कर डाली है ,सृष्ठी के विनाश की प्रागुक्ति करके अब अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा को लोगों को भयमुक्त करने के लिए बा - कायदा इस छदम विज्ञान के प्रति एक अभियान ही चलाना पड़ रहा है ।
मिथ यह गढा गया है -२१ दिसम्बर २०१२ को ग्रहों के एक कतार में आ जाने से सृष्ठी का विनाश अवश्य्यम भावी है .काल भी नष्ट हो जाएगा ,जबकि हकीकत यह है -जिस मायाँ केलेंडर के आधार पर यह मिथ आगे बढाया गया है उसका एक आवधिक चक्र भी विंटर -सोल्स्तिस यानी २१ दिसम्बर को समाप्त नहीं हो रहा है ,ठीक इसके फ़ौरन बाद दूसरा आवधिक चक्र (एनादर पीरियड )आरम्भ हो रहा है .अलावा इसके प्लेनेटरी एलांमेंट आइन्दा कई दशकों में तक भी नहीं होने वाला है ।
विनाश की यह लीला कुछ छद्म -विज्ञान कर्ताओं के मुताबिक मई २००३ में संपन्न होनी थी ,जब कुछ नहीं हुआ हवाया तो तारीख आगे खिसका दी ।
काका हाथरसी के दौर में भी ऐसी ही एक बे -सिर पैर की कहानी रची गई थी ,जिस पर काका ने अपने अंदाज़ में लिखा था -३ फरवरी सायं -काल को है एक सुंदर चांस /मकर राशि पर ,अष्ट ग्रह का होगा सुंदर डांस ।
शुक्र वार को सोनी मोवीज़ की यह फ़िल्म दुनिया भर के थियेटर्स में प्रर्दशित हो रही है .फ़िल्म का कथानक इस मिथक के गिर्द घूमता है ,जो मायाँ केलेंडर में की गई भविष्य कथन पर आधारित है ,एक अति रहस्यपूर्ण ग्रह पृथ्वी से आ टकराएगा इसके साथ ही काल चक्र ही नष्ट हो जाएगा .ना कोई रहा है ,ना कोई रहेगा ।
इसे प्लेनेट -एक्स /निबिरू कहा गया है ।
एक दम से काल्पनिक ग्रह है यह ,मानसी सृष्ठी ,दिमागी खपत है कुछ पढी लिखी साइंस दान ज़मात की ।
खगोल विज्ञान एक आब्ज़र्वेश्नल साइंस है ,प्रेक्षण आधारित विज्ञान है ,जहाँ ,प्रेक्षण के आधार पर ही निष्कर्ष निकाले जातें हैं ,यदि ऐसा कोई ग्रह सच -मुच होता तो पृथ्वी की कक्षा में तैरती तेज़ तर्रार दूरबीनों की तीसरी आँख से नहीं बचता ।
सुमेरियंस के दिमाग की उपज थी यह ग्रह ,इंटरनेट लिखाड़ भी ऐसा ही लिख रहें हैं .परा -मनो -विज्ञानियों का भी संग साथ लिया जा रहा है ।
इल्जाम नासा पर भी आया है ,सूचना छिपाए रखने का .यानी हिमाकत देखिये -इन कथित साइंस दानों की-चोरी और सीना जोरी ।
यदि ऐसा ग्रह वास्तव में होता तो अब तक नंगी आँख भी दिखलाई देता ।
बेशक एक प्लेनेतोइड (प्ल्युतो सरीखा )"एरीस "अंतरीक्ष में तैर रहा है ,लेकिन यह सौर मंडल की बाहरी परिधि पर ही बना रहेगा ।
एपाकेलिप्स २०१२ " ,"हाऊ तू सर्वैव २०१२ "जैसी पुस्तकें चांदी कूट रहीं हैं ,विज्ञान के दौर में ,छदम विज्ञान ज्यादा बिक रहा है .आख़िर झूठ में ताकत जो होती है ।
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ),साइंस कम्युनिकेटर .
बुधवार, 11 नवंबर 2009
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