हामारे खून में चर्बी घुली रहती है जिसे आम तौर पर कोलेस्ट्रोल कह दिया जाता है .वास्तव में इनमे से कुछ कण कोलेस्ट्रोल के खून की नालियों से चिपक जातें हैं ,नालियां खुरदरी यानी कठोर हो जाती हैं ,यही बेड कोलेस्ट्रोल है जबकि कुछ अन्यकणइस चर्बी को अंदरूनी दीवारों पर ज़मा होने से ना सिर्फ़ रोकतें हैं यकृत तक ले जातें हैंऔर यह सर्क्युलेशन से बाहर हो जातें हैं और इस प्रकार धमनियों को साफ़ सुथरा खुली रखने में मदद गार होतें हैं .इन्हें ही गुड कोलेस्ट्रोल कहा जाता है ।
व्यायाम करने से लगातार और नियमित सैर करने से यही बेड कोलेस्ट्रोल गुड कोलेस्ट्रोल में तब्दील हो जाता है ।
अब विज्यानी गुड कोलेस्ट्रोल से मिलते जुल्तें कण प्रयोगशाला में रचने में कामयाब हो गए है जो प्लाक (चिकनाई रुपी कचरे ,ट्राई ग्लीस -राइड )को बन्ने से पहले ही खुरच कर बाहर कर देतें हैं सर्क्युलेशन से असली के गुड कोलेस्ट्रोल कणों की तरह ।
इन रचे गए कणों की सतह को फेट्स और प्रोटीनों से ढांप दिया गया है ताकि यह चिपचिपे कोलेस्ट्रोल कणों से नत्थी हो जाएँ .और असली कोलेस्ट्रोल कणों की तरह रक्त प्रवाह में शामिल हो जाएँ
एक दिन इन्हीं कणों का स्तेमाल कार्डियो वेस्क्युलर डीज़ीज़ के इलाज़ में किया जा सकेगा .यही कहना है नेनो मेडिसन विभाग के चीएफ़ ( मुखिया) और "सेंटर फॉर एन्वाय्रण मेंटल इम्प्लीकेशंस ऑफ़ नेनो teknaalaaji के निदेशक आंद्रे नेल का ।
इन क्रत्रिम कणों को वैसे ही गुन देने की कोशिश की गई है जैसे vaastav में हदल कणों में होतें हैं(हाई density lipoprotin )को ही गुड कोलेस्ट्रोल कहा जाता है .बेड kahlaataa है -Low Density Lipo-protin .
बुधवार, 25 नवंबर 2009
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