शिशु -रोग विज्ञान पत्रिका "पीद्रिआत्रिक्स "में हाल ही मेंओन लाइन प्रकाशित एक आकलन के मुताबिक़ अमरीकी माताएं केवल अपने दूध -मुहे को जन्म के बाद की पहली छमाही में यदि नियमित ब्रेस्ट फीडिंग (स्तन पान )करवाएं तब ना सिर्फ तकरीबन ९०० सौ शिशुयों को कालकवलित होने से बचाया जा सकेगा ,अन्य बीमारियों पर इस दरमियान स्तन पान से वंचित शिशुयों पर खर्च होने वाले अरबों डॉलरों को टाला जा सकेगा ।
साइंसदान भी इस अध्धययन के नतीजों पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगातें हैं ।
स्तन -पान करवाने मात्र से उन तमाम शिशु तकलीफों से बचा जा सकेगा जिन पर बे -इन्तहा राशि (पैसा )खर्च होता है और अंत में कितने ही नौनिहाल काल का ग्रास बन ही जातें हैं ।
स्तन पान ना सिर्फ स्टमक वायरस के संक्रमण से हिफाज़त करता है ,कान के संक्रमण से बचाए रखने के अलावा दमे (एस्मा )से भी नौनिहालों को अपेक्षाकृत बचाए रहता है ."स्तन पान एक, फायदे अनेक" ,इसी लिए स्तन पान को "अमृत पान ",चिकित्सा शब्दावली में टीकाकरण कहा गया है .,फस्ट फीड इन टीकों से भर -पूर होती है ।
अलावा इसके जुवेनाइल -दाय्बीतीज़ (शिशुयों को होने वाली शक्कर की बीमारी ),सदेंन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम ,यहाँ तक की चा -इल्ड -हुड ल्यूकेमिया (बालपन में होने वाले कैंसर )से भी रोग प्रति -रक्षण हो सकेगा ।
यह करिश्मा उन "एंटी -बोदीज़ "का होता है माँ -का दूध जिनसे भरपूर रहता है .अनेक संक्रमणों से यही प्रति -पिंड बालक को बचाए रहते हैं .इतना ही नहीं "ब्रेस्ट मिल्क "खून में इंसुलिन के स्तर को भी प्रभावित करता है .स्तन पान भर -पूर करने वाले बच्चोंमें दाय्बीतीज़ के अलावा मोटापे की ज़द में आगे चलकर आने के जोखिम कम रह जातें हैं ।
स्तन -पान है जहां तंदरुस्ती है वहां .खुश -हाली है वहां ।सच जानिये यह सिर्फ सरकारी नारा नहीं है ,जन -आन्दोलन है .
सन्दर्भ सामिग्री :ब्रेस्ट -फीडिंग केंन सेव ९०० हंड्रेड लाइव्स ए ईयर इन यूं .एस .एलोन (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल ६ ,२०१० )
मंगलवार, 6 अप्रैल 2010
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