गर्भावस्था में वजन का एक हिसाब से बढना आम बात है (आखिर गर्भस्थ ,गर्भ जल ,गर्भजल थैली (एम्निओतिक् सेक )अम्बैलिकल - कोर्ड ,प्लेसेंटा आदि सभी का वजन भी इसमें शामिल रहता है )कुछ समय के बाद खान पान और रख रखाव जीवन शैली ठीक ठाक होने पर वजन आम तौर पर फिर से सामान्य हो जाता है .लेकिन एक हिसाब से ज्यादा इस दौरान वजन को बढ़ने देना ,आलस ,प्रमाद किसी भी वजह से, प्रसव के इक्कीस साल बाद भी मोटापे की वजह बन सकता है .यही संकेत है इस ताज़ा अध्धययन का .
यह पहली बार है ,दीर्घावधि प्रभाव गर्भावस्था का देखने को मिला है .एक तरह से प्रागुक्ति है 'कल के मोटापे की 'गर्भावस्था में ज्यादा वजन का बढना ,जिसे सही खान पान ,रहनी सहनी से एक सीमा के अन्दर रखा जा सकता है ,सचेत रहकर .
गर्भावस्था में वजन का अतिरिक्त रूप से बढ़ना भविष्य में मोटे होजाने के खतरे के वजन को बढ़ा देता है ,यही इस अध्धययन का सार है .यह स्टडी क्वींस लैंड के रिसर्चर अब्दुल्ला मामून के नेत्रित्व में संपन्न हुई है .
सन्दर्भ -सामिग्री :-'वेट गेंन इन प्रेगनेंसी इन्दिकेट्स ओबेसिटी (टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल २१ ,२०१० )
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