समझा जाता है 'अस्थि -क्षय 'यानी ओस्टियो -पोरोसिस प्रोढ़ -अवस्था का रोग है .खासकर महिलाओं में इसकी शुरुआत रजो -न्रिवृत्ति के बाद होनी मानी समझी गई थी .लेकिन एक अध्धययन से ऐसे संकेत मिल रहें हैं -बचपन में ही नींव पद जाती है अस्थि क्षय ,लोस इन बोन मॉस की .इसीलिए शिशु काल से ही केल्सिंम पोषण ,केल्सियम न्यूट्रीशन ज़रूरी है .कई मर्तबा कहा गयाहै दूध के साथ छाछ ,बतर -मिल्क भी उतना ही ज़रूरी है हमारे नौनिहालों के लिए ।
अब पता चला है ताउम्र अस्थियों की सेहत के लिए केल्सियम पोषणजन्म के फ़ौरन बाद एहम है ।
मेसेंच्य्मल -स्टेम सेल्स को यह एक सोफ्ट वेयर दे देता है .प्रोग्रेमिंग इफेक्ट है इन मसेंन -च्य्मे सेल्स पर केल्सियम पोषण का .
.यही वह भ्रूण कोशिकाएं है (एम्ब्रियोनिक सेल्स हैं )जो विकसित होकर कनेक्तिव तिश्युस (आबन्धी ऊतक) अस्थि (बोन )उपास्थि (कार्तिलेज़ ),ब्लड और लिम्फेटिक सिस्टम (लिम्फ प्रणाली )तैयार करतीं हैं ।
अपने अध्धय्यन में साइंस दानों ने नियोनेटल पिग का स्तेमाल ह्यूमेन इन्फेंट के सर्रोगेत के बतौर किया है ।
अध्धययन में तकरीबन एक दर्जन पिग्लेट्स (बाल -शूकरों ,नवजात पिग्स )को केल्सियम बहुल तथा इतने ही और पिग्लेट्स को केल्सियम रिक्त खुराख दी गई .जन्म के पहले चार हफ़्तों तक यह आजमाइशें की गईं .बेशक केल्सियम स्टेटस और ग्रोथ की इत्त्ल्ला देने वाले ब्लड मार्कर्स दोनों में यकसां मिले लेकिन अस्थि घनत्व में खासा अंतर पाया गया .केल्सियम रिक्त खुराख वाले पिग्लेट्स की बोन डेंसिटी कम पाई गई .स्ट्रेंग्थ भी बोन की अपेक्षा कृत कमतर रही .बोन मारो तिश्युस का विश्लेसन करने पर पता चला ,केल्सियम देफिशियेंत पिग्लेट्स की कोशिकाएं को फेट सेल्स तैयार करने का सोफ्ट वेयर (प्रोग्रेम पहले ही मिल चुका है )मिल चुका है .जबकि प्रोग्रेम मिलना चाहिए था -बोन फोर्मिंग ओस्टियो -ब्लास्ट्स सेल्स तैयार करने का ।
शिशु काल में कमतर ओस्टियो -ब्लास्ट्स सेल्स आगे चलकर अस्थि बढ़वार की क्षमता को असर ग्रस्त करता है घटाता है .अस्थि टूट फूट की दुरुस्ती करने की कूवत भी कम रह जाती है ।
ज़ाहिर है 'शिशु काल में केल्सियम -न्यूट्रीशन एहम रोल अदा करता है '।
सन्दर्भ -सामिग्री :-ओस्टियो -पोरोसिस ए चाइल्ड -हुड एल्मेंट देत स्ट्राइक्स लेटर ?(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल २७ ,२०१० )
मंगलवार, 27 अप्रैल 2010
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