शुगर -फ्री में वैसे ही थोड़ी सी केलोरीज़ (शुगर )होती है जैसे भैंस में थोड़ी सी अक्ल भी होती है ।
एक व्यक्ति ने किसी से पूछा था -भैया अक्ल बड़ी या भैंस ?
"भैंस "-ज़वाब मिला .क्योंकि भाई साहिब भैंस में थोड़ी सी अक्ल भी होती है लेकिन अक्ल में भैंस नहीं होती ।
बहर -सूरत जीरोकेलोरीज़ कोई ड्रिंक हो ही नहीं सकती .चंद केलोरीज़ ज़रूर मौजूद रहेंगी ।
शुगर- फ्री प्रोडक्ट्स की आजकल मार्किट में भरमार हैं .इनमे कुदरती या फिर कृत्रिम मानव निर्मित रसायन रहतें हैं ।डाईट-कोक या ऐसा कुछ भी इसी वर्ग में आयेगा .
आर्तिफिशीयल स्वीट -नर्स में प्रमुख हैं -सैख्रीन (सैकरीन ),अस्पर्तामे (एस्पार्टेम )सुक्रालोज़ ,निओ -तेम,अससुल्फमे पोटासियम ,स्टेविया आदि ।
यह ऐसे रासायनिक यौगिक कहे जा सकतें हैं जिनमे सक्रोज़ (टेबिल शुगर ,चीनी /शक्कर )से ३०० -५०० गुना ज्यादा मिठास होती है .तो ज़नाब 'कथित शुगर फ्री 'में शुगर तो मौजूद रहती ही है .अलबत्ता केलोरीज़ कमतर ,बस थोड़ी सी ही ,कह सकतें हैं ,नाम लेने भर ही रहतीं हैं ।
ऐसे में थोड़े से स्वीट -नर्स से ही गुज़ारा हो जाता है ,बर्फी बनालो या फिर हलुवा ,खीर या फिर रसगुल्ला .ऊर्जा कम ही मिल पाती है स्वीट -नर्स से .ब्लड ग्लूकोज़ लेविल्स में भी फर्क नहीं पड़ता ।क्योंकि आर्टिफीशियल स्वीट -नर्स का ग्लाई-केमीक इंडेक्स कमतर रहता है .
रविवार, 25 अप्रैल 2010
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