क्या 'शीघ्र -पतन 'यौन कर्म 'या सेक्स एपिसोड से बेहदजल्दी निवृत्त होने की खानदानी वजूहातेंभी हो सकतीं हैं ?.क्या मैथुन- रत ज्यादा देर तक ना बने रहने के पीछे कुछ जीवन इकाइयों (जीन्ज़ ,जीवन खण्डों )का भी हाथ हो सकता है ?
हालाकि साइंसदान इसकी मनोवैज्ञानिक वजहें बतलाते आयें हैं .लेकिन एक अध्धययन, बेड रूम में शर्मिन्दगी की इस वजह को विरासत बतलाता है ।
इन लोगों में एक आनुवंशिक एब्नोर्मेलियी हो सकती है .न्युरोत्रांस -मीटर 'डोपामिन 'को विनियमित ,नियंत्रित रखने वाले एक जीन में गड़बड़ी (दोष )का नतीज़ा हो सकता है 'प्री -मेच्युओर इजेक्युलेसन '.सुखा -नुभूति और आनंद की बागडोर यही जैव -रसायन करवातादिमाग को करवाता है .मूवमेंट और अटेंशन भी इसी के हाथ में रहता है ।
विज्ञान पत्रिका 'सेक्स्युअल मेडिसन 'में प्रकाशित एक नवीन अध्धय्यन के मुताबिक़ यह गड़बड़ी एक पीढ़ी से दूसरी को स्थानान्त -रित हो सकती है .एक से दूसरी पीढ़ी में जा सकती है ।
बस एक जीन का थोड़ा सा बदला हुआ संस्करण इस जेनेटिक एब्नोर्मेलिती'प्री -मेच्युओर इजेक्युलेसन की वजहबन रहा है .
डोपामिन स्तर को प्रभावित करने वाली दवाएं 'प्री -मेच्युओर इजेक्युलेसन 'के इलाज़ में कारगर हो सकतीं हैं ऐसा रिसर्चरों का अनुमान है ।
साइंस दानों ने १३०० उम्रदराज़ लोगों की पड़ताल के बाद यह नतीजे निकाले हैं .एक डोपामिन ट्रांस -पोर्टर जीन में संभावित दोष का पता लगाने के लिए इन लोगों के सेलाइवा साम्पिल्स लेकर भी जांच की गई थी ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-जींस तू ब्लेम फॉर 'प्री -मेच्युओर इजेक्युलेसन '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल २६ ,२०३० )
मंगलवार, 27 अप्रैल 2010
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