एमिसन ट्रेडिंग को केपभी कहा जाता है .यह एक प्रशासनिक तरीकाहै एमिसन यानी पोल्यूशन (फेक्त्रीज़ आदि से निकलने वाले अपशिस्ट पदार्थ ,तरह तरह के प्रदूषकों ) को कम करने का .इसके तहत उन कम्पनियों को आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाता है जो एक निर्धारित और सुरक्षित समझी जाने वाली एमिसन की मात्रा से भी कम अपशिस्ट पर्यावरण में छोड़तें हैं .यानी प्रदूषण को नियमित और नियंत्रित करतें हैं ,एक सुरक्षित और स्वीकृत सीमा में बनाए रख कर ।
एक सरकारी प्राधिकार या फिर केन्द्रीय आथारिटी जो आम तौर पर एक सरकारी संस्था ही होती है किसी भी कम्पनी के लिए पर्यावरण में छोड़े जा सकने वाले प्रदूषक तत्वों की सुरक्षित समझी जाने वाली एक सीमित राशि को यही गोमेंट बॉडी मंजूरी देती है .इसी सीमित मात्रा को अलावेंस या क्रेडिट कहा जाता है .इस एवज कम्पनियों को एमिसन परमिट्स ज़ारी किये जातें हैं .कम्पनियों के लिए एक समतुल्य संख्या में इन क्रेदितों या अलावेंसिज़ को सुरक्षित भीरखना ज़रूरी रहता है .केप को निर्धारित सीमा में रखना होता है .यानी स्वीकृत क्रेडिट के तहत ही अपशिस्ट पर्यावरण में छोड़े जा सकतें है .केप से ज्यादा नहीं .इस प्रकार कुल उत्सर्जन की हदबंदी हो जाती है ।ऐसी
कम्पनीज जो अपने क्रेडिट्स बढ़ाना चाहती हैं वह ऐसा करने के लिए उन कम्पनियों से क्रेडिट्स खरीद सकतीं हैं जो अपेक्षा कृत कम एमिसन पर्यावरण में छोड़ रहीं हैं .यानी कम प्रदुषण कर रहीं हैं .एमिसन का स्तर जिन्होनें स्वीकृत स्तर से भी कम रखा हुआ है ,यानी जो क्रेडिट्स की बचत कर रहीं हैं .वह अपने क्रेडिट्स ट्रांस फर कर सकतीं हैं ।
दी ट्रांसफर ऑफ़ अलावेंसिज़ इस काल्ड 'ट्रेड '.इसका मतलब यह हुआ क्रेडिट्स का खरीदार जुर्माना भर रहा है सीमा से बाहर प्रदूषणपैदा करने का .और बेचने वाला लाभ कमा रहा है .यूं भी कह सकतें हैं उसे प्रदूषण कम रखने का इनाम मिला है .
रविवार, 25 अप्रैल 2010
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