मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

खबरदार -परग्रह वासियों से दूर की दोस्ती ही अच्छी ,,

'एलिएंस एग्ज़िस्ट्स ,बट डोंट ट्राई टाकिंग तू देम'कोंटेक्ट विद एक्स्ट्रा -टेरिस्ट्रियल कुड स्पेल दीवास्तेसन फॉर ह्युमेनिती ,सेज स्टीफेंन हाकिंग (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल २६ ,२०१० )
तकरीबन २०० अरब तारें हैं एक निहारिका में (गेलेक्सी को निहारिका या दूध गंगा भी कह देतें हैं ,जैसे हमारी मिल्की- वे गेलेक्सी को कह दिया जाता है ).और तकरीबन एक हज़ार अरब (एक ट्रिलियन ) निहारिकायें हैं सृष्टि में ..सितारों के एक बड़े समूह को जिसमे अरबों खरबों सितारे होतें हैं गेलेक्सी कहा जाता है ।रफ्ली वन लेक मिलियन मिलयन मिलियन स्टार्स आर देयर इन दी ओब्ज़र्वेबिल यूनिवर्स .
अब तक तकरीबन चार सौ एक्सो -प्लेनेट्स (सौर मंडल से परेमिले गृह ) का पता चल चुका है .विज्ञानियों (खगोल विज्ञान के माहिरों )का एक तबका मानता है -भौमेतर जीवन है .अति -मानव भी हो सकतें हैं किसी सूदूर गेलेक्सी की छाँव में .इनसे दूर की दोस्ती ही भली .कन्ज्युमारिज्म में यह हमारे बाप हो सकतें हैं .हो सकता है अपने प्लेनेट के संसाधनों को हजम कर अब यह शिकार पर निकलें हों ।खतरनाक समुंद्री लूटेरों से .
लेकिन इनकी खोज 'सेती जैसे 'सर्च फॉर एक्स्ट्रा -टेरिस्ट्रियल बींग्स 'जैसे अभियान हमारे गले ना पड़ जाए ?यही कहना है मशहूर रेडियो -खगोल और भौतिकी विद वील चेयर बाउंड 'स्टीवेंस हाकिंग्स 'का ।
एक नवीन दोक्युमेंत्री -सीरीज में हाकिंग महोदय ने सृष्टि की बेजोड़ गुत्थियों पर रौशनी डालते हुए उक्त विचार व्यक्त कियें हैं ।
बकौल हाकिंग जीवन भौमेतर (पृथ्वी के अलावा और पृथ्वी के बाहर ) ही नहीं सितारों के केंद्र में यहाँ तक की सितारों के बीच के खाली स्थानों (अंतर -तारकीय -स्पेस )में भी यहाँ वहां तैर रहा होसकता है .पक्के समर्थक हैहाकिंग भौमेतर जीवन के ,पृथ्वी से परे मौजूद सुपर ह्यूमेन बींग्स के ।
अब सवाल इनके स्वरूप का है ?मिजाज़ का है .तेज़ तर्रार होने का है ।
यह उड़न लिजार्ड्स (येलो -लिज्जार्ड्स ),दो पैरों वालीभीमकाय छिप्किलियों से भी हो सकतें हैं .उन्हीं के शब्दों में -'दे में बी तू लेगिद हर्बिवोर्स ब्रोव्सिंग ओंन एन एलियेंन क्लिफ फेस वेअर दे आर पीकद ऑफ़ बाई फ़्लाइंग .,येलो लीजार्द ला -इक प्रीदेतर्स.'
एक और दोक्युमेंतरी का परिदृश्य इस प्रकार है -दी दोक्युमेंतरी शोज़ ग्लोइंग फ्लोरिसेंत एक्वातिक एनिमल्स फोर्मिंग वास्ट शोअल्स इन दी ओशन थोट तू अन्डरलाई दी थिक आइस कोटिंग ,युरोपा वन ऑफ़ दी मून्स ऑफ़ जुपिटर ।
बेशक ऐसे नज़ारे संदेह और खौफ दोनों एक साथ पैदा करतें हैं .लेकिन मकसद यह बतलाना है ,.कहीं पर अति- विकसित और खतरनाक स्वभाव वाले प्राणी भी हो सकतें हैं .इनसे संपर्क पृथ्वी वासियों के लिए घातक हो सकता है .यह हमारे संसाधनों को हड़प सकतें हैं .इनकी साज़िश तमाम सृष्टि को अपना उपनिवेश बनाने की भी हो सकती है .यह पृथ्वी पर आकर लूट पाट करके आगे बढ़ सकतें हैं भौमेतर ग्रहों को लूटने के लियें ,किसी शातिर घूमंतू की तरह ।
याद कीजिये कूलाम्बस द्वारा अमरीका की खोज मूल -निवासियों के लिए कैसी अप्रीतिकर रही थी .क्या हश्र हुआ था नेटिव्स का ,रेड इंडियंस का ?

कोई टिप्पणी नहीं: