माहिरों के अनुसार पार जातीय फसलें पर्यावरण और किसान दोनों के लिए फायदे का सौदा हैं .नाशी -जीव-नाशियों की कमतर ज़रुरत पडती हैं इन जीन -संशोधित फसलों को .लेकिन अब एक ख़तरा और पैदा हो गया है .जिस खरपतवार नाशी 'राउंड अप 'की ज़रुरत जीन संशोधित फसलों को खरपतवार से बचाए रखने के लिए पेश आती है उस राउंड- अप के प्रति खरपतवारों ने एक प्रतिरोध खड़ा कर लिया है यानी अब वीड किलर्स के छिडकाव से बे असर बनी रहतीं हैं तमाम तरह की खर्पत्वारें (वीड्स )।
इसका मतलब यह हुआ जीन इंजिनीयरिंग की पूरी क्षमताओं का पूरा दोहन नहीं हो पा रहा है .जब की यह क्षेत्र अपार संभावनाओं से भरा है ।
वीड किलर 'ग्लाइफोसेट 'के प्रति भी यही प्रतिरोध पनप रहा है .पोर्ट लैंड स्टेट यूनिवर्सिटी ,ओरीगोंन के माहिरों का यही कहना है .आप नॅशनल रिसर्च कोंसिल पेनल में शामिल हैं .ग्लाइफोसेट मुख्य घटक है 'राउंड अप' का.बीज निगम मोंसान्तो इसका खुल कर स्तेमाल करता है .बेशक यह वीड किलर अन्य नाशी -जीव -नाशियों के मुकाबले मनुष्यों के लियें निरापद समझा जाता है .यानी किसान राउंड अप का धड़ल्ले से स्तेमाल कर सकतें हैं .शायद इसी के चलते वीड्स ने अपना प्रतिरोध खड़ा कर लिया है ।
पता चला है खरपतवार की नौ किस्मों में ग्लाइफोसेट के प्रति प्रति -रोध पनप चुका है .और यह प्रतिरोध वहां ही दिखलाई दिया है जहां पार्जातीय फसलें चलन में आईं हैं . शेष इलाकों में नहीं ।
माहिरों के अनुसार आम तौर पर जीन संशोधित फसलों का चलन किसानों के लिए लाभ का सौदा रहा है ।
नाश -जीवों से बेअसर रहने वाली पार जातीय फसलों के लिए खेत की जुताई की कमतर ज़रुरत रह जाती है .परिणाम स्वरूप मिटटी की गुणवत्ता बनी रहती है .अपरदन के प्रभावों से भी बचाव होता है .
सन्दर्भ सामिग्री :'जेनेटिकली मोडिफाइड क्रोप्स बेनिफिट फार्मर्स '(टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल १५ ,२०१० )
शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010
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