तीन पीढ़ियों तक जा सकता है 'जंक फ़ूड 'का असर .आज गर्भवती महिला जो कुछ खा रही है यदि वह कबाड़िया और बासा भोजन है जंक फ़ूड है ,उसका असर अगली तीन पीढ़ियों तक बरकरार रह सकता है .नाती- ने, पोते-पोतियाँ कैंसर की चपेट में भी आ सकते हैं ।
एक नवीन अध्धयन इसी और इंगित कर रहा है ,गर्भवती माँ यदि बेहिसाब जंक फ़ूड खाती है (बिंज ईटिंग करती है ,कबाड़िया भोजन की ,चिकनाई सने खाद्यों की ),उसका असर ना सिर्फ अजन्मे शिशु को प्रभावित करता है ,अगली तीन एक पीढ़ियों तक बना रह सकता है ।
नातिन (ग्रांड चिल्ड्रन ) ब्रेस्ट कैंसर की ज़द में भी आ सकतीं हैं .यह रपट डेली मेल अखबार ने प्रकाशित की है .यानी सौगात में बेटियों -नातिनों को ब्रेस्ट कैंसर मिल सकता है 'बारास्ता जंक फ़ूड '।
अध्धय्यन में रिसर्चरों ने गर्भवती माउस के एक वर्ग को साधारण खुराख तथा दूसरे को ठीक उतनी ही केलोरीज़ की लेकिन बहुत चिकनाई वाली फेतीयरखुराख दी .अब इनके ऑफ़ स्प्रिंग्स में बेटियों और नातिनों में संभावित ब्रेस्ट कैंसर के बढे हुए खतरे के वजन की पड़ताल की ।
बावजूद इस तथ्य के ,दूसरी और तीसरी पीड़ी की संतानों को साधारण खुराख ही दी गई ,फेटि फ़ूड भकोसने को लियें नहीं दिया गया ,इसमें कैंसर के खतरे का वजन ६० फीसद बढा पाया गया ,अन्य कृन्तकों(कुतर कुतर कर खाने वाले रोदेंट्स ,चुहिया इसी कुल में आतीं हैं ) के बरक्स ।
तीन पुश्तों तक गर्भावस्था मेंज़म कर खाए गए जंक फ़ूड का असर किस तरह बरकरार रहता है ,इस बात की पड़ताल करने पर पता चला ,इस्ट्रोजन का स्तर जंक फ़ूड जमकर खाने से नहीं बढ़ता है ,जो स्तन कैंसर के लिए बुनियादी तौर पर जिम्मेवार रहता है .लेकिन इसकी व्याख्या एपी -जेनेटिक्स कर सकती है ,गर्भ में किन स्थितियों में वह परिवर्तन होतें हैं जो उत्परिवर्तन (म्युतेसंस )को हवा देतें हैं .बस गर्भ में थोड़े से परिवर्तन ,वेरी सटल चेंज़िज़ चाहिए .लेकिन यहाँ यह अति सूक्षम फेरबदल गर्भीय परवेश की, उत्परिवर्तन की नहीं लेकिन ऐसे रद्दो बदल की ज़रूर वजह बन जाती है जो दूर तक चले जातें हैं ,तीसरी पीढ़ी तक .पिता से पुत्र को भी स्थानातरित होतें हैं यह सटल चेंज़िज़ .यही टाइनी चेंज़िज़ संदर्भित रिपोर्ट में ब्रेस्ट में ऐसी 'बड्स 'पैदा कर सकतें हैं जिनके कैंसर ग्रस्त होने की प्रबल संभावना बनी रहती है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-जंक फ़ूड इफेक्ट्स एक्सटेंड तू थर्ड जेन (जेनरेशन )-टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल २१ ,२०१० )
गुरुवार, 22 अप्रैल 2010
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