एक ताज़ा अध्धय्यन से पता चला है ,जो मर्द रोजाना एक लीटर या फिर और भी ज्यादा कोला पेयों यानी कथित "ठंडा "का सेवन करतें हैं उनकी मर्दानगी बेतरह असर ग्रस्त हो जाती है ,स्पर्म -काउंट तकरीबन ३० फीसद कम हो जाता है ।
अध्धय्यन के अगुवा रहे टीना कोल्ड जेन्सेन कहतें हैं ,डेनमार्क के युवा गत चंद दसक से केफीन -बहुल सोफ्ट ड्रिंक्स का अधिकाधिक उपयोग कर रहें हैं .इसीलिए केफीन की प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ताल के लिए यह अध्धय्यन करने की पहल की गई है ।
कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी अस्पताल के रिसर्चर कहतें हैं हो सकता है प्रजनन स्वास्थ्य असर ग्रस्त होने की वजह केफीन ना होकर कोला पेयों में शामिल अन्य तत्व और जीवन शैली में शामिल अन्य चीज़ें हों .क्योंकि जो लोग कोफ़ी ज्यादा पीतें हैं उनमे यह सब देखने को नहीं मिला है हालाकि कोफ़ी में अपेक्षाकृत ज्यादा केफीन रहता है ।
अध्धय्यन में २५०० युवाओं की पड़ताल की गई ,पता चला इनमे से जो कोला का सेवन नहीं कर रहे थे उनका स्पर्म काउंट ५० मिलियन प्रति मिली -लीटर था , हालाकि इनकी जीवन शैली भी दुरुस्त थी ,भ्रष्ट खान पान नहीं था ।
इसके ठीक विपरीत वह ९३ युवा जो रोजाना एक लीटर कोला गटक रहे थे उनका स्पर्म काउंट ३५ मिलियन प्रति मिली -लीटर था .ये लोग हाई -केलोरी फ़ूड (फास्ट फ़ूड )ज्यादा जबकि सब्जी और फ्रूट्स कम ले रहे थे ।
हो सकता है इसके पीछे सिर्फ कोला या फिर सिर्फ फास्ट फ़ूड का हाथ रहा हो .कुसूरवार दोनों भी हो सकतें हैं ।
बेशक विश्व -स्वास्थ्य संगठन की नजर में यह स्पर्म काउंट भी सामान्य हो सकता है ,लेकिन तथ्य यह भी है जिन मर्दों का स्पर्म काउंट आम तौर पर कम पाया जाता है ,उनके बाँझ होने -रहने की जोखिम बढ़ी हुई रहती है ।
सन्दर्भ सामिग्री :कोला टेक्स फिज्ज़ आउट ऑफ़ मेल फर्टिलिटी .(टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अप्रैल ३ ,२०१० )
शनिवार, 3 अप्रैल 2010
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